________________
हुति व्याख्यान में की। पश्चाद् पूज्य श्री भगवतीजी सूत्र का जुलूस वरघोड़ा निकाला। पैंतालीस आगमों की पूजा भी श्रीसघ ने पढ़ाई।
* कात्तिक सुद चौदस के दिन चातुर्मासिक प्रवचन का लाभ श्रीसंघ को मिला। देववन्दन भी हुआ ।
(१५) चातुर्मास परावर्तन एवं महोत्सव का प्रारम्भ
कात्तिक सुद १५ रविवार दिनांक २०-११-८३ को उपधान कराने वाले शा० हजारीमलजी भूताजी की ओर से परम शासन प्रभावक पूज्यपाद आचार्यदेव आदि मुनि भगवन्तों का तथा पूज्य साध्वीजी महाराजों का चातुर्मास परावर्तन हया। शा० मूलचन्द जी तथा शा० पुखराजजी के घर पर चतुर्विध संघ सहित गाजे-बाजे के साथ पूज्य गुरुदेव पधारे। वहां ज्ञानपूजन एवं मगलप्रवचन के पश्चात् प्रभावना हुई।
उनकी तरफ से तेरह छोड़ से युक्त उद्यापन का, उपधान की माला का तथा श्री जालौर-सुवर्णगिरि तीर्थ का पैदल छरी पालित संघ निकालने का, ग्यारह दिन का श्री जिनेन्द्र भक्ति स्वरूप महोत्सव का प्रारम्भ हुआ। प्रतिदिन व्याख्यान तथा पूजा, प्रभावना एवं रात को भावना का कार्यक्रम चालू रहा ।
* मागशर (कात्तिक) वद २ मंगलवार दिनांक २२-११-८३ को शासनरत्न-तीर्थप्रभावक-परमपूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजय सुशील सूरीश्वरजी म० सा० ने सुविशुद्ध दीक्षा पर्याय के ५२ वर्ष पूर्ण करके ५३ वें वर्ष में मंगल प्रवेश किया।
( 106 )