Book Title: Siddhachakra Navpad Swarup Darshan
Author(s): Sushilsuri
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandir

View full book text
Previous | Next

Page 493
________________ प्रत्येक जिनमन्दिर में प्रांगी आदि का कार्यक्रम रहा । चौदस और अमावस इन दो दिनों के छट्ठ करने वालों की संख्या १२५ हुई। आज पूजा भी पढ़ाई गई। (१२) नूतनवर्ष का प्रारम्भ तथा मांगलिक श्रीवीर सं० २५१० विक्रम सं० २०४० नेमि सं० ३५ शनिवार दिनांक ५-११-८३ को प्रातः चतुर्विध संघ को जैनधर्मदिवाकरराजस्थानदीपक-मरुधरदेशोद्धारक-परमपूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजय सुशील सूरीश्वरजी म. सा० ने मंगलाचरण-सातस्मरण कर श्रुतकेवली श्रीगौतमस्वामी गणधर भगवन्त का संस्कृत अष्टक तथा शासनसम्राट-परमगुरुदेव श्रीमद् विजय नेमि सूरीश्वरजी म. सा. का अष्टक सुनाया। पूज्यपाद आचार्य म० सा० के विद्वान-प्रवक्ता शिष्यरत्न पूज्य मुनिराज श्री जिनोत्तमविजयजी म० श्री ने भी श्रीगौतमस्वामीजी का रास सानंद सुनाया। * उपधान कराने वाले शा० हजारीमलजी भूताजी की तरफ से प० पू० प्रा० म० सा० आदि मुनि भगवन्तों का तथा पू. साध्वी जी महाराज का कात्तिक पूनम के दिन चातुर्मास परावर्तन का एवं उपधानमाला महोत्सव के बाद श्री जालौर-सुवर्णगिरि तीर्थ का पैदल छरी पालित संघ निकालने का आदेश श्रीसंघ के पास श्री मूलचन्दजी तथा श्री पुखराजजी ने लिया। श्रीसंघ ने श्री आदिनाथ भगवान की जय बुलवायी। बन्ने बन्धुए ज्ञान-पूजन कर पूज्य आचार्यदेव के पास अपने मस्तक पर वासक्षेप नखवाया। उस समय जालौर से आये हुए श्री नैनमलजी वकील तथा श्री उगमराजजी वकील आदि ने दोनों बन्धुओं का तिलक कर, माला पहिनाकर तथा श्रीफल आदि देकर बहुमान किया। ( 104 )

Loading...

Page Navigation
1 ... 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510