Book Title: Siddhachakra Navpad Swarup Darshan
Author(s): Sushilsuri
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandir

View full book text
Previous | Next

Page 491
________________ नवे दिन श्रीसिद्धचक्र का तत्त्वभित व्याख्यान तथा श्री श्रीपाल-मयणाचरित्र का अनुपम लाभ श्रीसंघ को मिलता रहा। नवे दिन प्रभावना युक्त पूजा का लाभ भी मिला। नवे दिन आराधकों को कराने के महामंगलकारी आयंबिल शा० हीराचन्दजी लखमाजी की तरफ से शुरू हुए। * पासो सुद आठम के दिन सादड़ी वाले शा० लक्ष्मीचन्द दीपचन्दजी वन्दनार्थ आए। * आसो सुद नवमी के दिन श्री कोलर तीर्थ की कमेटी वाले वन्दनार्थ आए। * पासो सुद दशमी के दिन सिरोही संघ पेढ़ी के ट्रस्टी मंडल वन्दनार्थ आए। ग्यारस के दिन श्रीउपधान तप में प्रवेश करने वाले का अत्तर वायणा शा० हजारीमलजी भूताजी की तरफ से शाम को हुआ। श्री उपधान तप पासो सुद ११ सोमवार १७-१०-८३ को शा० हजारीमलजो भूताजी की ओर से महामंगलकारी श्री उपधान तप का प्रारम्भ हुआ, जिसमें १०५ महानुभावों ने प्रथम मुहूर्त में मंगल प्रवेश किया। * पासो सुद १२ के दिन उमेदपुर से जैनबालाश्रम के ११३ बालकों को बेन्ड पार्टी के साथ लेकर शा० पारसमलजी भण्डारी वन्दनार्थ आए। * पासो सुद १३ बुधवार दिनांक १६-१०-८३ को श्री उपधान तप के दूसरे मुहूर्त में आठ ओराधक महानुभावों ने विधिपूर्वक मंगल प्रवेश किया । उपधानवाहियों की कुल संख्या ११३ हुई। * पासो सुद १५ शुक्रवार दिनांक २१-१०-८३ को यहीं . ( 102 )

Loading...

Page Navigation
1 ... 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510