Book Title: Siddhachakra Navpad Swarup Darshan
Author(s): Sushilsuri
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandir

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Page 480
________________ ॥पू० श्रीभगवतीजीसूत्र का प्रारम्भ ।। श्रावण (आषाढ़) वद ५ शनिवार दिनांक ३०-७-८३ को व्याख्यान के हॉल में आदेश लेकर पूज्यपाद आचार्य म० श्री को शा० शुकराज दानाजी की ओर से पू० श्रीभगवतीजी सूत्र को वहोराया तथा श्रीविक्रमचरित्र को शा० चुनीलाल वीसाजी की ओर से वहोराया। पहला ज्ञानपूजन गीनी से शा० अोटरमल ताराचन्दजी केलावाला ने किया। दूसरा पूजन रूपानाणा से शा० पूनमचन्द जीतमल भूताजी ने किया। तीसरा पूजन रूपानाणा से शा० देवीचन्द श्रीचन्दजी ने किया। चौथा पूजन रूपानाणा से शा० जुवानमल सुजाजी ने किया। पाँचवाँ पूजन शा० जीवराज पूनमचन्दजी ने किया तथा धूप-दीपक आदि का पूजन शा० प्रोटरमल ताराचन्दजी केलावाला ने फिर किया। पीछे सकल संघ ने भी रूपानाणा से पू० श्री भगवतीजी सूत्र का पूजन किया। पश्चाद् प० पू० प्रा० म० श्री. ने पू० श्रीभगवतीजी सूत्र का तथा श्रीविक्रमचरित्र-वांचन का सोत्साह प्रारम्भ किया। - अन्त में सर्वमंगल के बाद श्रीसंघ की ओर से प्रभावना की तथा पैतालीस आगम की भी प्रभावनायुक्त पूजा पढ़ाई। श्रीनमस्कार महामन्त्र के नव दिन के अाराधना तप का भी प्रारम्भ हुआ । इसमें ३२५ भाई-बहिन विधिपूर्वक आराधना करने के लिये एकत्र हुए। (१) इस दिन एकासणां शा० केसरीमल नरसाजी की तरफ से हुआ। प्रतिदिन तत्त्वभित पू० श्रीभगवतीजी सूत्र तथा श्रीविक्रमचरित्र श्रवण करने का सुन्दर लाभ श्रीसंघ को सानंद मिलता रहा। ( 91 )

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