Book Title: Siddha Parmeshthi Vidhan
Author(s): Rajmal Pavaiya
Publisher: Kundkund Pravachan Prasaran Samsthan

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Page 28
________________ श्री सिद्धपरमेष्ठी विधान/२५ पूजन क्र. ४ दर्शनावरणीकर्म विरहित श्री सिद्धपरमेष्ठी पूजन स्थापना (छंद - रोला) श्री सिद्ध प्रभुओं को सादर सविनय वन्दूँ। दर्शन आवरणी के नाशक को अभिनन्दूँ॥ ज्ञान भावना भाऊँ अपना ज्ञान जगाऊँ। केवल दर्शन के बाधक भव भाव भगाऊँ॥ (दोहा) भावसहित पूजन करूँ, करूँ आत्मकल्याण । केवल-दर्शन प्राप्त कर, दृष्टा बनूँ महान ॥ ॐ ह्रीं दर्शनावरणीकर्मविरहितश्रीसिद्धपरमेष्ठिसमूह! अत्रअवतर अवतरसंवौषट्। ॐ ह्रीं दर्शनावरणीकर्मविरहितश्रीसिद्धपरमेष्ठिसमूह ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः। ॐ ह्रीं दर्शनावरणीकर्मविरहितश्रीसिद्धपरमेष्ठिसमूह ! अत्र मम सन्निहितो भव | भव वषट्। _(छंद - राधिका) जन्मादि रोग त्रय नष्ट करूँ हे स्वामी। क्षीरोदधि जल लाया हूँ अन्तर्यामी ॥ अरहंतदेव दर्शन अनन्त गुणधारी । नौ प्रकृति दर्शनावरणी के क्षयकारी॥ ॐ ह्रीं दर्शनावरणीकर्मविरहितश्रीसिद्धपरमेष्ठिभ्यो जन्मजरामृत्युविनाशनाय । जलं नि.। .

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