Book Title: Shubhshil shatak Author(s): Vinaysagar Publisher: Prakrit Bharti Academy View full book textPage 7
________________ इनके द्वारा लिखित निम्नलिखित कृतियाँ प्राप्त हैं १. विक्रमादित्य चरित्र २. भरतेश्वरबाहुबलिवृत्ति ( कथाकोष ) ३. शत्रुञ्जयकल्पवृत्ति ४. भोज प्रबन्ध -- - - रचना सम्वत् १४९०. Jain Education International रचना सम्वत् १५१८. ५. प्रभावक कथा रचना सम्वत् १५०४। इस कृति में स्वयं के छः गुरु भ्राताओं का नामोल्लेख किया है उदयनन्दिसूरि, चारित्ररत्नगणि, श्री रत्नशेखरसूरि, श्री लक्ष्मीसागरसूरि, श्री विशालराजसूरि एवं श्री सोमदेवसूरि । ६. शालिवाहन चरित्र रचना सम्वत् १५४०. ७. पुण्यधन नृप कथा रचना सम्वत् १४९६. ८. जावड़ कथा ९. भक्तामर स्तोत्र महात्म्य १०. पञ्चशतीप्रबोध सम्बन्ध ११. अष्टकर्मविपाक १२. पञ्चवर्ग-संग्रह- नाममाला १३. उणादि नाममाला रचना सम्वत् १५०९. — - रचना सम्वत् १५२१. इनमें से क्रमांक १ से १० तक की कृतियाँ कथा - साहित्य से सम्बन्धित हैं । क्रमांक १२ कोष साहित्य और नं. १३ व्याकरण साहित्य से सम्बन्ध रखती है । T संस्कृत साहित्य, व्याकरण और कोष के उद्भट विद्वान् होने पर भी प्रस्तुत पञ्चशतीप्रबोध सम्बन्ध सामान्य संस्कृत के ज्ञाता धर्मोपासकों के लिए लिखी गई हो, ऐसा प्रतीत होता है । पाण्डित्य प्रदर्शन की अपेक्षा इस कृति में देश्यभाषा के अनेक शब्दों को संस्कृत बनाकर इसमें रखने का प्रयत्न किया गया है। इसलिए यह विशुद्ध व्याकरण की दृष्टि से रचना न होकर 'यतियों की संस्कृत' अथवा 'सधुक्कड़ी भाषा' की रचना जैसी हो गई है। For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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