Book Title: Shrutsagar Ank 2013 12 035
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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२२
दिसम्बर - २०१३ कथागत केटलीक विशिष्ट नोंधो :[१] श्लोक १९ना प्रथम/तृतीय चरणमां अनुप्रास योजी काव्यने रोचकता अी छे. [२] श्लोक २३मां अर्थश्लेषनो प्रयोग करी घोडाना गुण-राजाना दोष काव्यमां
गुंथ्या छे. [३] श्लोक २८मां एक ज स्थाने प्राप्त बे वस्तुनुं मूल्य दर्शाव्युं छे. [४] श्लोक ३३मां रूपमंजरीना गाढ प्रणयने भ्रमरनी उपमाथी रजु को छे. ५] श्लोक ३९मां कागडानी उपमाथी कामी माणसनो परिहास कर्यो छे. [६] श्लोक ४४मां मायावी मनुष्यनी मोर साथे तुलना करी छे. [७] श्लोक ५३मां प्रश्नगर्भित श्लोक रजू को छे. [८] श्लोक ६४मां सुपात्रदाननी महत्ता बतावी छे. [९] श्लोक ६७-६८-६९ मां प्रश्नोत्तर प्रहेलिका रजू करी छे. जेमां ६९मां श्लोकमां
उत्तरमा आवेल 'रावही' पद 'इरियावही' अर्थमा प्रयोज्युं छे. जे नोंधवा जे,
छे.
[१०] श्लोक ७५मां राज्यनी दरकार न करनार राजाने कारणे कथळती राज्यव्यवस्थानुं ___ एक ज श्लोकमां सुंदर रीते शब्दचित्रण कर्यु छे. [११] सुवर्णजटित-सुवर्णमठित-चेट्ट-जीवापयति-छण्टिता-भलाप्य-जेवा प्रयोगो ध्यानार्ह
ग्रंथकर्ता अने एनी गुरुपरंपरा :
कर्ताए पोतानी के पोतानी गुरुपरंपरा संबंधी कोई विशेष माहिती कृतिमां आपी नथी तेथी 'जैन परंपरानो इतिहास' ना आधारे अमे ए माहिती ढूंकमां रजू करीए छीए. __ [१] आ. सोमसुंदरसूरिजी म. - सं. १४३०मां माग. व. १४ना शुक्रवारे पालनपुरना शेठ सज्जनसिंह पत्नी मालणदेवीने त्यां तेमनो जन्म थयो हतो. सं. १४३७मा आ. जयानंदसूरिजी पासे एमनी दीक्षा थई. सं. १४५० मां एमर्नु उपाध्याय पद, सं. १४५७मां पाटणमा आ. देवसुंदरसूरिजीना हाथे आचार्यपद, सं. १४९९मां तेमनुं स्वर्गगमन थयुं.
तेओ खूब ज्ञानी, गुणवान, मधुरभाषी, अमोघ उपदेशक, क्षमाशील, शिष्यवात्सल्य, भाग्यवान अने महिमावंत हता. चैत्यवंदनभाष्य-अवचूरि, भाष्यत्रय-चूर्णि, कल्पान्तर्वाच्य, यतिजीतकल्प, रत्नकोश, अनेक स्तोत्रो, आराधना रास, स्थूलिभद्र फाग, नेमिनाथ नवरस फाग, षडावश्यक-बालावबोध, योगशास्त्र-बालावबोध, उपदेशमाळा-बालावबोध
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