Book Title: Shrutsagar Ank 2013 12 035
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 52
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५० दिसम्बर - २०१३ श्रीपालकेन सुत वाघजीप्रमुखकुटंबपरिवारयुतेन स्वश्रेयोर्थं स्वचित्कोशे। श्री पंचकल्पचूर्णिपुस्तकं लेखितं । वाच्यमानं चिरं नंदतात् ।। छ|| शुभं भवतु || कल्याणमस्तु ।। ||छ || ३. सिद्धहेमचंद्रशब्दानुशासन, प्रतक्रमांक-१०२७, पत्रसंख्या-१०१५ पं. राजशेखरगणि पं. शुभशेखरगणिशिष्य प्रमोदराज गणि आख्यात अवचूरि आपी धर्मनिमित्त संवत् १५७१ वर्षे पाटणि चुमासि ।। अमरसुंदरमुनि कृते श्री तपागच्छे रत्नपुरा वुहरागोत्रे सं. कुरा पुत्र सं. आसकरणकेन स्वज्ञानकोश हैमआख्यातावचूरिका गृहीता तत्पुत्ररत्न सं. रतन परिपालनार्थम् श्री पत्तननगरे।। ४. भगवतीसूत्र टबार्थ, प्रतक्रमांक-९०५३, पत्रसंख्या-७३५ ___ संवत् १८३० वर्षे शाके १६९५ना कार्तिक शुदि ५ बुधे ।। भट्टारक श्रीश्रीश्रीविजयधर्मसूरीश्वर चतुर्मास कृतः तत् उपदेशात् दो. श्री५ सेसकरण हीरजी तत्भार्या श्राविका बाई मीठीई ज्ञानपांचमना उजमणानी भगवती टबा ली[खी] पोरबंदिरना भंडारमा मेहली छे ।। श्रीशांतिजिनप्रसादात् ।। ७. प्रवचनसारोद्धार, प्रतक्रमांक-१७५००, पत्रसंख्या-१० संवत् १६७० वर्षे द्वितीय ज्येष्ठ शुदि १२वी पंडितप्रवर पंडित श्रीश्री ज्ञानसागरगणि चरणारविंदचंचरीकेण गणिहर्षसागरेणाकब्बरपुरीय चित्कोशे स्वश्रेयोर्थं मुक्ता चिरंनंदताद् चंद्रार्क । ६. षडावश्यकसूत्र बालावबोध, प्रतक्रमांक-१७७७८, पत्रसंख्या-१६७ पं. गोपजीशिष्य गणिरंगविजयेन चित्कोशे प्रतिरियं मुक्ता ७. प्रश्नव्याकरण टवार्थ, प्रतक्रमांक-१८०२०, पत्रसंख्या-९७ सं. १९०६ना वर्षे कार्तिक शुदि ५ ज्ञानपांच मार्नु उजवणुं बाई हीरुयें कर्यु ते आ परत १ श्री प्रश्नव्याकर्ण(रण)नी श्री लोकागछ मोटीपक्ष श्रीपोरबिंदरना पुस्तकना भंडारमा ज्ञाननिमित्तें मुकी छे । ते वरषमां ऋ आंबा व मोतीचंदजी चोमासां २ कर्यां छे.। ८. जिनस्तोत्ररत्न कोश, प्रतक्रमांक-२१५११, पत्रसंख्या-१४ श्रीअंचलगच्छे मंहं गोविंद सुत मं. काजलना चित्कोश...मिदम् For Private and Personal Use Only

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