Book Title: Shrutsagar Ank 2013 12 035
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 66
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६४ दिसम्बर - २०१३ १३००मां जयदुगिदेव (जयसिंह)ना राज्यमां धर्मामृतशास्त्र वगेरे अनेक ग्रंथो रचेल छे. २१. दलपतिराय - आ कवि क्यारे थयो ते ख्लायमां नथी. एणे सिद्धविंशिका तथा प्रश्नाष्टक रचेल छे. (जै. स्तो. सं. पृ. २५१ तथा २५७) आ बन्ने कृतिओ एनी विद्वत्ता प्रकट करे छे. २२. आल्हाद मंत्री - एमनोय समय निर्णीत नथी. एमणे पार्श्वजिनस्तवन रचेल छे. (जुओ मंत्राधिराज चिंतामणि नं. ५२) आ तो संस्कृतसाहित्यसेवीओनी बात थई. हवे केटलाक गूर्जरगिरोपासक श्रावको तरफ दृष्टि करीए - १. सोलणु - (वि. नो १४मो सैको) एणे प्राचीन गुजरातीमा ३८ कडीनी चर्मरिका रची छे. (जै. गु. क. भा. १. नं. १२) २. वस्तिक - एणे सं. १४६२ पहेलां चिहुं गति चोपइ रची. (जै. गु. भा. १ नं. २१) ३. वच्छ भंडारी - एणे मंगळपुर (मांगरोळ) मंडन नवपल्लव पार्श्वनाथ कलश रच्यो छे, (जै. गु. क. भा. १ नं. ६३) ४. अमीपाल - एणे सं, १५७२ मां महीपालनो रास रच्यो. (सं. सा. इति. पृ. ५२७) ६.भीम भावसार - एणे सं. १६२१ मा. शु. वटपद्र (वडोदरा)मां श्रेणिक रास बनाच्यो, जेना अंते लखे छे के - गौतमपाए सारदमाए, चित राखु चरणेसमुं, भावसार भीम करजोडी बोले, साध सहु चरणे नयु. - (नं. १५१) ६. खीमो - एणे शत्रुजय चैत्यप्रवाडी (परिपाटी) कडी ३२मां रची. जेनी १६१९नी वा. सहजरत्नगणिलिखित प्रति मळे छे. तेथी ते कवि ऋषभदास करतां जूना जणाय छे. ७. लींबो • एणे पार्श्वनाथनो संवेगरस चंद्राउलो बनावेल छे. सं. १६७० मां कवि ऋषभदासे बनावेला कुमारपाळरासमां बीजा कविओ साथे आ बन्नेने पण संभार्या छे. ते आ प्रमाणे - आगि जे मोटा कविराय, तास चरणरज ऋषभाय, लावण्य लींबो खीमो खरो, सकलकविनी कीरति करो. For Private and Personal Use Only

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