Book Title: Shrutsagar Ank 2013 12 035
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

View full book text
Previous | Next

Page 54
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैन गृहस्थोनी साहित्य सेवा मुनिश्री चतुरविजयजी जैन साहित्यना सृष्टाओ मुख्यभागे त्यागी महात्माओ छे, जेओ सांसारिक उपाधिथी सर्वथा मुक्त होवाने कारणे अध्ययन-अध्यापन तथा साहित्य-सर्जनमां ज मोटा भागे पोताना समयनो भोग आपता. साहित्यरचनामां निवृत्ति अग्रस्थान भोगवे छे. जैन गृहस्थोमां घणा खरा मंत्रीओ वगेरे विद्याव्यासंगी तेमज विद्वद्वर्गमां प्रतिष्ठापात्र तथा विद्वानोनी कवितानी योग्य कदर करनारा अने तेना गुणदोषनुं निरूपण करवामां शक्ति धरावनारा हता. परंतु तेमनुं जीवन व्यापारिक, सामाजिक, राजकीय अनेक व्यवसायोमां प्रवृत्तिमय होवाथी साहित्यसर्जनमां विशेष उद्यमशील थया वामां आवता नथी. छतां सर्वथा अभाव तो नथी ज. भले अल्प प्रमाणमां होय परंतु गृहस्थ कविओए पण साहित्यमां पोतानो फाळो आप्यो छे. जो के सर्व साहित्यथी हुं परिचित नथी, छतां मारा अभ्यास प्रमाणे केटलाक जैन गृहस्थोनी साहित्यसेवानुं दिग्दर्शन कराववा प्रवृत्तमान थाउं छं. १. कवि धनपाळ - गृहस्थ जैन कविओमां सहुथी अग्रस्थान पं. श्री धनपाळ भोगवे छे. तेओ जन्मथी शैवधर्मी हता. छतां एमना लघु भ्राता शोभन ( जेणे जैनदीक्षा स्वीकारी हती) ना सहवासे जैनतत्त्वोनो अभ्यास करी श्रद्धा थवाथी जैनत्व अंगीकार कर्तुं हतुं. ए धाराधीश मुंजनो अतिमानीतो राजसभालंकार महाकवि हतो. मुंज पछी धाराधीश भोज राजाए 'सिद्धसारस्वत कवीश्वर' 'कूर्चाल सरस्वती' ए नामनुं बिरूद आप्युं हतुं. भोज अने धनपाळ बाल्यावस्थाथी ज परस्पर परमस्नेही हता. धनपाले जैनधर्म स्वीकार्या पछी जैनसिद्धांतोक्त विचारो अने संस्कारोने प्रतिपादन करनारी तिलकमंजरी जेवी अद्वितीय अने अद्भुत कथा रची. जे मुद्रित अने सुप्राप्य छे. कवि पोतानी वंशपरंपरादि हकीकत नीचे प्रमाणे जणावे छे. आसीद् द्विजन्माखिलमध्यदेशे प्रकाशशंकाश्यनिवेशजन्मा । अलब्ध देवर्षिरिति प्रसिद्धिं यो दानवार्षित्यविभूषितोऽपि ।। शास्त्रेष्वधीती कुशलः कलासु बन्धे च बोधे च गिरां प्रकृष्टः । तस्यात्मजन्मा समभून्महात्मा देवः स्वयंभूरिव सर्वदेवः ।। For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84