Book Title: Shrutsagar Ank 2013 12 035
Author(s): Mukeshbhai N Shah and Others
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 61
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर - ३५ महासामंत यशोधवळना पुत्र)नो भाई हतो, एणे पार्थपराक्रमव्यायोग रच्यु (प्र. गा. ओ. सी.) ने पोताना नामथी प्रल्हादनपुर (पालणपुर) वसाव्यु. अने त्यां पाल्हविहार नामनुं जैन मंदिर कराव्यु. अजयपाळ मेवाडना राजा सामंतसिंह साथेना युद्धमा बहु घवायो हतो त्यारे तेना प्राणोनी रक्षा आ प्रल्हादनदेवे (पालनसीए) पोतानी वीरताथी करी हती. आ प्रल्हादनदेवे श्री भोज अने मुंज संबंधी एक करुणारसप्रधान कथा रच्यानुं सोमेश्वर कहे छे परंतु ते कथा के प्रल्हादनदेवना बीजा ग्रंथो हाथ लागता नथी. पण आ (राजा) के जे सोमेश्वरना पिताना गुरु थाय, ते अत्यंत परोपकारपरायण पुरुष हशे, एम सोमेश्वरना एक वचनथी जणाय छे. वैदुष्यं विगताश्रयं श्रितवति श्रीहेमचंद्रे दिवं । श्रीप्रल्हादनमन्तरेण विरतं विश्वोपकारव्रतम् ।। १३. यशःपाल . ए मोढवंशना मंत्री धनदेव अने रूक्मणीनो पुत्र अने अजयपाळना समयमां जैन मंत्री हतो. एणे थारापद्र (थराद)मां त्यांना कुमारविहार क्रोडालंकार श्री वीरजिनेश्वरना यात्रामहोत्सव प्रसंगे मोहराजपराजय नाटक रच्यु हतुं. तेमा आलंकारीक रीते कुमारपालराजा साथे धर्मराज अने विरती देवीनी पुत्री कृपासुंदरीनुं पाणिग्रहण श्री महावीर अने हेमचंद्राचार्य समक्ष कराववामां आवेल छे. जेनी मिति सं. १२१६ ना मागशर शुदि २ बतावी छे. ते दिवसे कुमारपाळे प्रगटरूपे जैनधर्मनो स्वीकार को हतो. आ ग्रंथ सं. १२२९ थी १२३२नी वचमां रचायो जणाय छे. मुनिरत्नसूरिए पत्तनमां शांतिनाथना मंदिरमां सभासमक्ष पौर्णमिकगच्छना समुद्रघोषसूरिकृत अममचरित्र वांची संभळाव्यु हतुं. ते वखते वैयाकरण श्री पूर्णपाल, यशःपाल, जगदेव (बालकवि) आदि हाजर हता, ते आज यशःपाल हशे. १४. महामंत्री वस्तुपाल - ए सं. १२७६मा' वीरधवलना मंत्रीपदे नियुक्त थयो हतो. वस्तुपाल वीर पुरुष हतो एटलुं ज नहीं परंतु प्रसिद्ध विद्वान-कवि पण हतो. तेणे नरनारायणानंद नामनुं काव्य (प्र. गा. ओ. सी. नं. २) १६ सर्गमां रच्यु. तेमां पोतानुं नाम कर्ता तरीके-कवि हरहर अने सोमेश्वरे आपेल वसंतपाल राखेल छे. (जुओ सर्ग १६-३८) अने ते ज नाम उपरथी बालचंद्रसूरिए तेना (वस्तुपाळना) १. आ अंकनी योजना प्रमाणे आमा वि. सं. १२३० लगभगना समय सुधीनी हकीकत आवी शके एम होवा छतां आ विषयनी विगतो एकसाथे होय तो वधु उपयोगी थई पडे एम समजी उक्त समय पछीनी केटलीक हकीकत पण आमां आपवी उचित धारी छे. - तं. थयो हतो. साक्षरसमूह वस्तुपाल अने तेजपालना नामथी भाग्ये ज अपरिचित हशे. For Private and Personal Use Only

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