Book Title: Shravak Samayik Pratikraman Sutra
Author(s): Parshwa Mehta
Publisher: Samyaggyan Pracharak Mandal

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Page 6
________________ 6. लोगस्स (तीर्थङ्करस्तुति) सूत्र लोगस्स उज्जोयगरे, धम्म-तित्थयरे जिणे । अरिहंते कित्तइस्सं, चउवीसंपि केवली ।। 1 ।। उसभमजियं च वंदे, संभवमभिणंदणं च सुमई च। पउमप्पहं सुपासं, जिणं च चंदप्पहं वंदे ।।2।। सुविहिं च पुप्फदंतं, सीयल-सिज्जंस-वासुपुज्जंच। विमलमणंतं च जिणं, धम्म संतिं च वंदामि।।3।। कुंथु अरं च मल्लिं, वंदे मुणिसुव्वयं नमिजिणं च । वंदामि रिट्टनेमिं, पासं तह वद्धमाणं च ।।4।। एवं मए अभिथुआ, विहूयरयमला पहीणजरमरणा। चउवीसंपि जिणवरा, तित्थयरा मे पसीयंतु।।5 ।। कित्तिय वंदिय महिया, जे ए लोगस्स उत्तमा सिद्धा। आरुग्ग-बोहिलाभ, समाहिवरमुत्तमं किंतु ।।6।। चंदेसु निम्मलयरा, आइच्चेसु अहियं पयासयरा। सागरवर-गंभीरा, सिद्धा सिद्धिं मम दिसंतु।।7 ।। फिर निम्न पाठ से सामायिक करने की प्रतिज्ञा स्वीकार करें। 7.सामायिक-प्रतिज्ञासूत्र करेमि भंते! सामाइयं सावज्जंजोगं पच्चक्खामि, जावनियम' पज्जुवासामि, दुविहं तिविहेणं, न करेमि न कारवेमि, मणसा 1. जावनियम के बाद जितनी सामायिक लेनी हो “उतने मुहूर्त उपरान्त न पालूँ तब तक" ऐसा बोल शेष पाठ पूर्ण करें। {4} श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र

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