Book Title: Shravak Samayik Pratikraman Sutra Author(s): Parshwa Mehta Publisher: Samyaggyan Pracharak Mandal View full book textPage 5
________________ 4. आत्म शुद्धि सूत्र तस्स उत्तरी-करणेणं, पायच्छित्त-करणेणं, विसोहि-करणेणं, विसल्ली-करणेणं, पावाणं कम्माणं निग्घायणट्ठाए, ठामि काउस्सग्गं। अन्नत्थ ऊससिएणं, नीससिएणं, खासिएणं, छीएणं, जंभाइएणं, उड्डुएणं, वायनिसग्गेणं, भमलीए, पित्तमुच्छाए, सुहुमेहिं अंगसंचालेहिं, सुहुमेहिं खेलसंचालेहिं, सुहुमेहिं दिट्ठिसंचालेहिं, एवमाइएहिं आगारेहि, अभग्गो अविराहिओ हुज्ज मे काउस्सग्गोजाव अरिहंताणं भगवंताणं नमोक्कारेणं, न पारेमि ताव कायं ठाणेणं, मोणेणं, झाणेणं, (एक इच्छाकारेणं का काउस्सग्ग') अप्पाणं वोसिरामि॥ 5. कायोत्सर्ग शुद्धि का पाठ काउस्सग्ग में आर्तध्यान, रौद्रध्यान ध्याया हो, धर्मध्यानशुक्लध्यान नहीं ध्याया हो तथा काउस्सग्ग में मन, वचन और काया चलित हुई हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं। 1. काउस्सग्ग में तस्स मिच्छा मि दुक्कडं के स्थान पर “आलोउं" कहें। फिर काउस्सग्ग पूर्ण होने पर णमो अरिहंताणं' कह कर काउस्सग्ण पालें, बाद में कायोत्सर्ग शुद्धि का पाठ बोलें। काउस्सग्ग विधि-खड़े होकर करें तो दोनों पैरों के बीच में पीछे तीन अंगुल व आगे चार अंगुल जगह छोड़कर दोनों हाथ सीधे लटका कर पैरों के अंगूठे की सीध में दृष्टि जमा कर काउस्सग्ग करें और बैठे-बैठे करें तो पल्यंक आसन से बैठ कर बायें हाथ की हथेली पर दायें हाथ की हथेली रखकर उस पर दृष्टि जमाकर 'अप्पाणं वोसिरामि' शब्द बोलने के साथ काउस्सग्ग प्रारम्भ करें। 13) श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्रPage Navigation
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