Book Title: Shatkhandagama Pustak 05
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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धवलाका गणितशास्त्र
(घ ) लरि लरि भ = लरि ब + लरि लरि ब
= लरि अ+ लरि लरि अ + अ लरि अ (ङ) लरि म = भ लरि भ
(च) लरि लरि म = लरि भ + लरि लरि भ । इत्यादि (८) लरि लरि म < बरे इस असाम्यतासे निम्न असाम्यता आती है
___ ब लरि ब + लरि ब + लरि लरि ब <ब'
भिन्न- अंकगणितमें भिन्नोंकी मौलिक प्रक्रियाओं, जिनका ज्ञान धवलामें ग्रहण कर लिया गया है, के अतिरिक्त यहां हम भिन्नसंबंधी अनेक ऐसे रोचक सूत्र पाते हैं जो अन्य किसी गणितसंबंधी ज्ञात ग्रन्थमें नहीं मिलते । इनमें निम्न लिखित उल्लेखनीय हैं
--
-
न
.
१
(१) न+ना = न + +
(२) मान लो कि किसी एक संख्या म में द, द' ऐसे दो भाजकों का भाग दिया गया और उनसे क्रमशः क और क' ये दो लब्ध (या भिन्न) उत्पन्न हुए। निम्न लिखित सूत्रमें म के द + द' से भाग देने का परिणाम दिया गया है
द + द' (क'/क) +१ अथवा = १ + (क/क')
म
(३) यदि - = क,
(क-क
+म' = म
अ
क
(४) यदि व = क, तो-
ब = क - न ।
१भवला, भाग ३, पृ. २४. ३ भवला, भाग ३, पृ. ४६. ५ भाग ३, पृ. ४६, गाथा २४.
२ धवला, भाग ३,पृ. ४६. ४ धवला, भाग ३, पृ. ४७, गाथा २७.
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