Book Title: Satsadhu Smaran Mangal Path
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir

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Page 5
________________ E MMMMMMMMMMMMMMMUMVIMUMUMMMMMMM समर्पण 'त्वदीयं वस्तु भो विद्वन् ! तुभ्यमेव समर्पितम् ।' सत्साधुओंके स्मरणको लिये हुए जिन आचार्यों अथवा विद्वानोंके जिन वाक्योंकी इस पुस्तकमें संयोजना की गई है वे वाक्यरत्न, उन वाक्योंके मर्मको व्यक्त करनेवाले अनुवादरूप व्यञ्जकमणिके साथ जड़ कर, उन्हीं महानुभावोंको, यह कहते हुए, सादर समर्पित हैं कि 'हे विद्वद्गण ! यह आपकी चीज़ है, इस लिये आपको ही समर्पित है।' संयोजक

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