Book Title: Samanvay Shanti Aur Samatvayog Ka Adhar Anekantwad Author(s): Pritam Singhvi Publisher: Parshwa International Shaikshanik aur Shodhnishth PratishthanPage 46
________________ ३० समन्वय, शान्ति और समत्वयोग का आधार अनेकान्तवाद व्यवहार तात्त्विक अर्थ में थोडा अन्तर है। उदाहरण के तौर पर तपेली में दूध भरा हुआ है। सामान्य अर्थ में यही कहेंगे कि दूध के रहने का क्षेत्र तपेली है, दृष्टि से यह मानने में कोई बाधा नहीं है । परन्तु, क्षेत्रकी अपेक्षा, को बराबर समझना हो तो इस प्रकार की मान्यता में हम थाप खा जायेंगे । तपेली में दूध के रहेने का जो स्थल है वह तपेली से अलग है । वास्तव में दूध तपेली में नहीं बल्कि उसके पोले भाग में है । इसलिये 'क्षेत्र' शब्द का उपयोग जब हम करते हैं तथा बिना किसी दूसरे के आधार के जो स्थल- क्षेत्र का उल्लेख है, उस अर्थ में किया जाता है । इसमें आवश्यकतानुसार अपनी विवेक-बुद्धि का उपयोग कर सकते हैं । तपेली और दूध दोनों अपने अपने क्षेत्र से अलग है। क्षेत्र की अपेक्षा से जब भी विचार करना हो तब उस वस्तु के द्रव्य का क्षेत्र - उसके रहने का स्थल ऐसा समझना चाहिये । तीसरा आधार - 'काल' I यहाँ 'काल' का अर्थ उस वस्तु का - वस्तु के द्रव्य का - हम विचार करते हैं तो उसके उस अस्तित्व के समय से किया जाता है। वस्तु का जब परिवर्तन होता है तब उस समय जो परिणमन होता है, वह उसका 'काल' समय है । द्रव्य तरीके काल स्वयं एक अलग पदार्थ है, जिस वस्तु का जिस समय परिणमन होता है वह समय उस वस्तु का परिणमन का समय है । एक ही समय में बहुत सारी वस्तुओं का परिवर्तन होता रहता है । किन्तु उन सभी वस्तुओं का परिणमन- परिवर्तन एक ही काल में हुआ ऐसा नहीं कहा जा सकता । प्रत्येक वस्तु का जिस समय परिवर्तन हुआ, वह समय उस वस्तु के परिणमन का स्वयं का समय है, स्वयं का काल है । प्रत्येक वस्तु के काल का समय उसी वस्तु के संदर्भ में किया जाता है । घडी के कांटे की दृष्टि से काल समय एक होने के उपरान्त भी वह समय घडी के कांटे का है किसी दूसरी वस्तु के परिवर्तन का नहीं । उदाहरण के तौर पर वर्षा होने का समय चोमासा, भगवान् महावीर का आयु का समय उस समय के ७२ वर्ष, तीर्थंकर प्रभु के निर्वाण का काल, जिस समय उनका निर्वाण हुआ वह । इस प्रकार जब हम किसी वस्तु की काल की अपेक्षा की बात करते है तब हमें उस वस्तु के उद्भव, परिणमन, अस्तित्व तथा कार्य करने का कालPage Navigation
1 ... 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124