Book Title: Samanvay Shanti Aur Samatvayog Ka Adhar Anekantwad
Author(s): Pritam Singhvi
Publisher: Parshwa International Shaikshanik aur Shodhnishth Pratishthan
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समन्वय, शान्ति और समत्वयोग का आधार अनेकान्तवाद आधुनिक विचारक संत बिनोबा भावे अनेकान्त के विषय में लिखते
"अपना सत्य तो सत्य है ही किन्तु दूसरा जो कहता है, वह भी सत्य हैं। दोनों सत्य मिलकर पूर्ण सत्य होता है । यही महावीर का स्याद्वाद है।"
गांधीवादी विचारक काका कालेलकर लिखते हैं -
"मेरे पास जो समन्वय दृष्टि है यह मैं जैनियों के 'अनेकान्तवाद' से सीखा हूँ। अनेकान्तवाद ने मुझे बैद्धिक अहिंसा सिखाई, इसके लिये मैं जैन दर्शन का ऋणी हूँ।"