Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 01
Author(s): Narottamdas Swami
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
View full book text
________________
(२२)
१. कलिकाल
सम्प्रति वत्तई कलिकाल, महा का कपट काल । पाइपबार साक्षात् हलाह लि, सासु बहु परस्पर कलि । गुरू शिष्य मा बाध बलि, अम्पाय कुरीति देश मडलि ।
राज कुळ धा बलि, राय राणा पत्ता बलि। भत्रिय नामहं वोठा बलि, भला माणस हुई तांतलि । पृथवी मंद फल, मंत्र सर्व नि:फल, बड़ी मूळी रस विकल। कुल स्त्री निरंगल, न्यायी राय तुच्छ दल । चरह बहुल, वाट पाडा तणा कलकल । धर्मगुरु चपल । पापोपदेस कुसल । मिथ्यात्व निश्चल, लोक माया बहुल, अल्प मंगल । इणि कुकालि, अवसपिणी काली। अल्प भीर गाइ, निस्नेह माइ । भक्ष भोज निरास्वाद, स्त्री तणी जाति अमर्याद । रहस भेद, रसच्छेद । क र संचना, गुरु बंचना।। प्राउखां स्तोक, निवाणिजा लोक । देव वातली, भक्ति पातली। अल्प मृत्यु, पगि पगि प्रकृत्यु । बाप बेटी तणा गरथ सातई, मापरणा छोरू कुखेत्रि धातई। पाप जउ, धर्मी बउ। साचउ अवगणियह, झूठउ वखारिणयाद । गुरु शिष्य तराउ खमइ, वाप बेटा नमः ।
सासू पाटलइ, बहु खाटलइ । ए कलि तणा भाव । २. विरहणी
हारु कोड़ती, वलय मोड़ती। प्राभरण भांजती, वस्ज्ञ गांजती । किकरणी कलाप छोड़ती, मस्तक फोड़ती। वक्षस्थल ताड़ती, कंचुत फाड़ती। केश कलाप रोलावती, पृथ्वी तलि लोटती। मांसू करी कंचुक सोचती, डोडली दष्टि मोचती। वीम वचन बोलती, सखीजन अपमानती। थोड़ई पाणी माछळी जिम तालोचलि जाती, शोक विकल थाती। भरिण जोयइ, अणि रोयइ । क्षणि हसइ, मरिण रूसह । आणि पाकन्दइ, मरिण निदइ । मरिण मूझइ, क्षणि झह । तेह तनु, सतापद चंदणु । कमलनाल, पुण मेला जाल । चन्द्रकांति ज्वलइ, पुष्प शय्या बलइ । हार भावइ अंगारु, कदली हर, मानह महर, जे जल सीकर, ते उद्वेग कर । जउ शीतलोपचार, ते करइ विकार ।
इणि परि प्रज्वलित, स्नेह पटल, विरहानल नोपजइ । ३. युद्ध वर्णन
विहु पखा वृहत् पुरुष साँचरिया, क्षम मूडाविउ । विहु गमा मना-बद्ध नीपना, सुभटे जरहि जीएसाल लीधी। मय गल.गुडिया, सुडादंडि सुहव हि थातिया । पन वल्लह किमोर पाखरिया. जाति तरंगम पमारिणया । वीर पुरुष महामुभट प्रगुणा नोपना, चक्रव्यूह, गरुडव्यूह तणी रचना नीना ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88