Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 01
Author(s): Narottamdas Swami
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 43
________________ खोची गंगेव नींबाबत वो पहरौ उहीज सेल्हां बाफतारा कमरबंधांमें लपेटी थकी, उही ढालांरी प्रांचा में मेलजं छे. तठा उपरायंत पेटीरा कसा छुटै छै. सू पेटी कुरण भांतरी छै ? असल दागदार बोयदाररी छै. तैरी खसबोयरा लिया भंवरा गुजार करै छै. बीस-बीस पांवड़ा खसबोयरा डोरा छूटै छे. जा गांधी हाट पसारी है. तठा उपरायंत वागांरा चिहरबंद छूटै छै. सू किरण भांतरा वागा छै ? सिरोसाप भंरव चोतार कसबो महमूदी फूलगार अध-रस सेला बाफता डोरिया मोमनी तनजेब सासाहिबी तर तरैरे कपड़े रा बागा छे.सू उतार उतार उरणहीज दरखतांरी साखां ऊपर उरळा कोर्ज छै. तठा उपरायंत चरणांरा गिरदाना मोकळा करजाजमा गिलमां ऊपर बैसजै छै. पाघां लपेटा उतारढालांरा गड़गदामें राखजै छै. बाफतारा सेलारा रूमाल केसरिया छै स माथां ऊपर राखजे छे. वीणां बायेरा लीजं छं. सू कि भांतरा वीणां छे ? लाहोररा कियोड़ा छै. रूपेरी डांडी जरी मढी, टुकड़ीरी झालरी. तू वणी थकी खवासपासेवारणारे हाथ छै, फरास वडां फरासी पंखां वायेरो घात रह्या छे. मात हाथी ज्यू हींड रह्या छे. तीन भांतरो पवन बाज रह्यो छै-सीतळ मंद सुगंध. गरमी मिटायजै छं. • तठा उपरायंत राजानां मलूक कुबरा साथ सारू कलालीरो हुकम हुवौ Jain Education International छै. तिजारो मंगायजे छं. तिको तिजारो किरण भांतरो छँ ? तासणीरी बाडीरो नीपनो इकतीस ताड़ीरो, नाळे रसोमोट खोपरा बढरो, गरीरं दळरो, हाथसू छूट पड़े तो काचरी सीसी ज्यू किरचाकिरचा हुये जावं. पाणीमें घातियां rai ढह जाय. इण भांतरो तिजारो सू गोरो भूवरिया पुचांस दुजण साह्या कटोरांमें भला जुवान मचकाव है. बेवड़ी गळणी खिची चाढछारगजं छं. ऊजळा रूपोटांमें घात मुनहारां हुयनं रही छे. तठा उपरायंत अमल मंगायजं छं. अमल किरण भांतरो छ ? थेट आगरा ही काळ केकीनरो नीपनो. भूरो थटाई अरोड़ी नहलिया भोजपुरावटी. सृ आगराही अमलरी चकी बंक्यां मिरोवढ कीजं छं. केसरिया पोत रुमालां में घातजै छै. अरोडी गाळजे छे भोजपुरीरा पला कीजै छै मुनहार हृयनै रही छै. अमलोरा जमाव कीजं है श्रमलांरा तंडल रोपर्ज है. अमलोरी नोवो दीजं छै. इसमें भांगेसुर मंगायजै छै. सू किए भांत छै ? केसरी क्यारी दोलळी वासग माथारी. थोहररा बिडारी भाखररा खुडारी, भूरे मोरी, काळ पानरी, श्रावुरा विडारी, भमरमार मिरघमाळ लरियाळ चिडिया चोटडियाळ. ओक पानगरियां पान अंक पान ग्रहमदाबाद. पान-पानरो रस लीजं छै तिए भांग साल महाला For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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