Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 01
Author(s): Narottamdas Swami
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 71
________________ ३६ राजान राउतरो वात-वरणाव नीपनां, प्रागै बखारिणां तिरण भांतिरा, तजारी तूज, घरणीं कासमीरी केसर, घरणी ऊजळी मिसरीरं भेळि कपूर वासी पांरणीरी कल्हारी झारीज छे । तठा उपरांति करि नै राजांन सिलामति तजारैरी बाड़ीरी नीपनी, नीली घणू पाकी, पुरांणी, प्रागै बखांणी तिण भांति भांगि घणी एलची, मिरचा, पान, जावश्री मेळ पाखांगरी कू डीग्रां सरबंगरा घोटासू ऊजळा प्राचांरी धमोड़ी घर ऊज मिसरीरै भेळ ऊजळा गरणांसू भारीछे छे. ऊजळां प्राचांरी खवस्यां ऊजळा रूपोटां iti हाजर खड़ी मिसरी, अफगसू श्ररोगाड़ोजै छै. कनाथां पड़दा तांणीजं छं. चोहबचा मांहै जल केलरा रंग तरंग मांणीजै छै. कुअर पदी भोगवीजै छं. चौमासो लागौ छै. दूसरी असाढ़ श्राइ संप्रापति हुनो छे. तठा आगे वरसात रितरा वरणात्र को जै छे, सो श्रागं बखांरगोजै छै । दोहा सरद हेम ने सिसर रित, रिति वसंत ग्रोषम्म | वरषां दांत बखारिण तू, ए षट रित श्रोपम्म || इति श्री षट रितिरै वात वरणावरी दूसरो प्रस्ताव पूरो हूम्रो । हमें तठा उपरांति करि नैं राजांन सिलामति एकारिण प्रस्ताव महाराजा श्री राजेसररा परमांणा श्राबू गढ़रा मंडावरि श्राया छे. अजमेर थांरो हुकम हुयो छै. महाराजा कुमार श्री राजान राजाउत मारू मंडोअरसू अजमेर पधारिया छे. फौज बंधीरा बरगाव कीजै छे । तठा उपरांति करि नैं राजांन सिलामति अतरा मांहै पातसाह महमद मुसतफाखांनरा चार दूत विचरिया हूंता त्यां हकीकत राजांनरा पातसाह श्रागे पोहचाई. सत्तर खांन बहत्तर उमरावी बांग खड़ा है. पातसाह श्री राजांन कुमर राजाउत वात पूछे छै. राजांन कुर किसाएक रजपूत है. दूत हकीकत कहै छे. जु राजांन कुमर उठती वहीरी जुवान प्रानजांनबाहू राजहंस लीलंग छै. भेदग छे. तिसा ही बागांरा वरणाव, तिसाही मूछारा मरट, तिसा ही भुजांरा श्रांमला, तिसा ही पोरसरा गाढ़, तिसा ही कामवटरा अंग, तिसा ही रजपूतवटरा श्राचार देख ने महाराजा राजेसर अजमेर रे थाणे राखैश्रा छै. हसम हुकम सौंपा छे. हजरत सू मालिम है। राजांन कुर बत्रीस लक्षणौ छं. तिके कहै छै. सत १, सल २, गुण ३, रूप ४, विद्या ५, तर ६ अलप अहारी ७. वडोचित उदार ८, तेज ६, धनकर १०, दोलवंत ११ सकलनाइक १२, दयावत १३, विचखरण १४, दाता १५. बुधिवंत १६, प्रमाणिक १७, जस १८, उदिम १६. लाज २०, धीरज २१. राज सनमान २२, सूर २३, सासी २४, बलवंत २५ भोगी २६. जोगी २७, भुजाय २८, भाग्यवान २६, चतुर ३, ग्यानी ३१, देवभगत ३२, पर उपगारी ३३ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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