Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 01
Author(s): Narottamdas Swami
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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राजान राउतरो वात-वरणाव
जमदाढ़ सोनहरी नकसी जड़ाव सांतरी, घणे मुखमल नै घणे कतीफे मांहै गरकाब कीधी थकी, उमां राजानांरी कड़ियांरी इण भांतिरो कटारी बीड़ी वटवं समेत ए जमा पगांसू लपेट ने उनांहीज ढाळारी प्रांचांमां राखीजे छ।
तठा उपरांति करि नै राजांन सिलामति अतरा मांहै वागांरा चिहुरबंध हटै छै. सो किरण भांतिरा वागां श्री साफ, भैरव चौतार हजारी, गंगाजळ खासा वामता इण भांति वागांरा चिहरबंध छटै छै. कडियां लोळ लीजै छ, वीजगणे वाउ ढोळीज छै, घोड़ा वाउठा कीजै छ. अराकी टहलावीज, चौरंगा सोगठारी खाट खड़ पडि नै रहो छ. वे पहरी धमहमि नै रहिरो छै. गजेसरां, राइजादां, पालोजां जुवानां, मलूका, कमरांग साथ कल्हारीरी होफो फिर छ. हकम हौ छै कल्हारी. हो ठाकुरे कल्हारी. मोणि भांतिरी कल्हारी तेलगगरो गाडीरो कमल, इकत्रीसमी ताररी तजारी, कोपरारै दलिगरीरै वढ़ि हाथां छूटो, पाणीमां पड़े तो गळि नै जावै घणं भीमसैनी कपूर वासीमा पाणीसू केहरी कल्हारी खासां दोवड़ा छांणोज छै. ऊजळा रूपौटा उलटाजे छै. ऊजळा खवास पासवान हाजिर लोप्रां खड़ा छ ।
तठा उपरांति करि नै राजांन सिलामति इतरा माहेरा इतनांरा साथनां अमल कराड़ी छ. काळी कंदलीवाढीजै छै. भूरो मेवाती पारोड़ा अमल आगराई मिसरी अहि फीण पनै वासग नागरै मुहडेरा झाग हनं तिण भांतिरौ नेस सीघोडी भंज कियां. पामिरी वढ़ कीनां थका, पांच पांच, दस दस सेर देवगिरिमां थाळियांमां घातियां थका फिरीजै छै. जो किणी ठाकुररी हांस तरस हुन छै तिणन् अमल पारागाडीजे छ ।
तठा उपरांति करि नै राजान सिलामति धूधळीतजारौ, बांधलौतजारो, पांव पांच सेर, दस दस सेर कोरा कडामा घातीनां थकां सांबरा प्रांचारा जुवान मचकावै छं. पवनरी मारी सिकडीजे नहीं. प्रा लारै प्रगरि प्रावं. प्रांगूठार अगरि प्रायां निलाडरी तिलक ले. इण भांतिगै धधळोतजारी, बांधळीतजारौ सो किरणन्जी पाका पाका वरीप्रांमां जोधारां करड़दता, अजराइला. खोबरां डाणां दूलाडा कोनां लोह घरडां लोहानां लोळी लेतां काटर ऊगर है करतां पचासे बोलीए. आठे पाठे वढेररिण खेतर विर्ष पडि पडि पडिमा. जाहरां पांच पांच हजार बाम पाटा बेंधे खाधा तांह रजपूतांनू अमल कराडीजै छै. प्रमलारी नीमां दूणी दीजं छै. अमलारी तंडल रोपीज छै. अमलारा जमाव कोजै छ ।
तठा उपरांति करि नै राजांन सिलामति केमरिये वागे नंदा चंदा जुमांन माहिल वाडियारौ साथ अपडियां घटारा चुवता पटारा खासीयां बांहारा बोलता कहा गजांन राजावतरं वेपार र वास नकरा मगाडी छ. पोटी जंठे चाडीजै छ. सो किरण भांतिरा ऊंठ, किरण भांतिरा हाण, किरण भांतिरा डांण, किरण भांतिरा पलारण नै किरण
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