Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 01
Author(s): Narottamdas Swami
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

View full book text
Previous | Next

Page 80
________________ राजान राउतरी बात-परपाव ४५ तठा उपरांति करि नै राणान सिलामति परधियारी पकारी उतरिमो छ सो किगा भातिरी बरछी जिके पांच पांच, सात सात ताकड़िपारा मणगांजा सेल उवा वरिमां मारा हाथारा, सेलारै टेकिया सुवरिमा मैं सेलारासू उतारिन उपा होज बग न पोपलारीप्रां साखासू नागळिमा छ । तका उपरांति करि नै राजांन सिलामति कबाणारी चकारी उतरै छ, सो किण भांतिगे कबांणा थेट विलाती, सींगरी सिगणी, तू जो हलका, अठार टांक चिलेरी खामणहार, मुलाताण उतपति, कुरबारण रहति, बार बारै वरस दरिमावा माहे जेहाजा हेठो चलो प्रावी, चिलेरी तारणी, हुंकार करती, बड़े पठाणरी बेटी ज्यू तहीर करतो, पण भातिरी कपाणारी पकारी उतरै छै सु उपाहीजपा पीपलारीमा साखाम्नागली छ। ता उपरोति करि में राणान सिलामति प्रतरा माई डाला प्रतीबंध यूट. सुकिरण मोतिरी डाली सुध गैंग पणारी मारी गधे, सुहरतोली रग लागे. तीर, तरवार, कटारी, परछीरी वादी नहीं, सूमारी वातरी लागे तो पायक अतर. गोळी लागतो उम्र में पाछी पर, सोमहीरी पूला मकसी कला मुखमलरी गादी पातियां, सांबरा हपयामा, बुलगोरी गो सहित अपांस राजानारा हापारी उपाहीज बरा में पीपलारीमा सासासू' नागळिया। तठा उपराति करि नै राजान सिलामति पतरा माह तरकसारा कुहटाऊ बोडिया छै. सो किरण भांतिरा तरकस कंटील, जिके मुखमली ठाठी, प्रतिकाली सकलात, मैंण कपड़री खोळीसूकाढ़ी, कलावूत नीसरी साठी, गिरमरी नीपनी, कांबडे गजबलरा भल, कावर ग्रीध पर पंखारै दांतर बढ़ार घणे पंचरग पाट माह झिझकियां थकां घणं मुखमल नै घणे दांतमा गरकाब कोमा पकां, उवां राजावारी कडिमारी उवांहीज बड़ा पीपलारी साखासूनांगळीज छै । तठा उपरांति करि नै राजांन सिलामति प्रतरा माहै तरवारियांरा करमसार छुटै छ. तरवारियांरा साज खुलै छ. सु किण भांतरी तरवार थेट सिरोहीरी, सांतरी, दारांदार, मित्रांन धातियां बिग्रागुले बाढ़े झरिमां-मित्रांनसू काढि नै घास में नाखी हो तो पांरपोरै भोळे जिनावर ठूक मारै. छछोही बाल नागणी चिलकै जाणें काळोरी जीभ हाल, तिण भांतिरो प्रांबेर, जेसलमेर, सांगानेर, महेवारी त्रीजणी हवै तिण भांतिरी. घणे मुखमल नै घणी सोने रूप मांहै गरकाब करी थकी, इण भांतरी तरवार, घणे ककडे गोनी सांबरमां लपेटी थकी तहनाळ, मुहनाळ, कड़ी, कुरसी समेत नकसी मंठि उमां राजादा हाथरी उमां हीज वड़ा ने पीपलारी साखांसू नागळोजे छ। तठा उपरांति करि नै राजान सिलामति कटारी किरण मांतिरी कुनारबंधी,कुनारगामी, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88