Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 01
Author(s): Narottamdas Swami
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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२४
रामदास बेरावतरी श्राखडीरी वात
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बात मियां बुढरण पाछो जालोर श्रो. बीबी महेचोसु मिलियो, महेची समाचार पुछीयो, मीयांजो हमारा भाइरा हाथ दीठा. मीयांजी बोलिया अब तुमारा भाइ कनासु सांढीयां मंगा दो. तब महैची बोली मीयांजी कछु भोला हो ? उरणने प्राखडी छे,
॥ इति उगरणीस विरुदवारी रामदास वेरावतरी चोरासी श्राखडी तिके संपूर्ण "
घाड प्रांणीयो वासी राखणो नहीं सांडीयां तुरत वेच दीनी, उरणहीम वेलां. इसो सुणने मीयाँ सांढीयांरी आसा छोडी पछे रामदासजी वरस २५ (?) में हुवा तरे पातसाहरी फोजसु लडने कांम प्राया ।
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