Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 01
Author(s): Narottamdas Swami
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 50
________________ कीवी छे - भुजाई तयार हुयी है. धाप फुरमायो छे पांतोटा नाखो, बाजवट थाळ मंगावो. पांतोटा नाखिया छे, भागे बाजवट मेलिया छे. त्यां ऊपरं रुपैरा पीतळरा थाळ जळसू खंखोळिया मेलिया छे. सिरदार पांतोटा प्राय बैठा. छे. रहड़वां घातिया देगचा चरू आणजे छै. परीसारारो हुकम हुवो छे. सारं साथने सरब वसतरी परीसारो हुवे छे. पांच-पांच दस-दस इकलाळिया दांइदा भेळा बैठा छे. मुनहारा हुय रही है. धरणी फीनसताई चोज लियां आरोगजं छे. दारा दाव वीच वीच लीजै छे. गोळियांरी खाटखड़ लागने रही छे. मुसालांरो चानरणो वरणनै रह्यो छं, जारी सरदरी पुरणवांसी खुली छे. - खीची गंगेव नींबाबत दो - पहरौ फेर हुकम हुवै छै. महताबारो चांदणो हुवे. सू महिताबां पचास सव सांवठी ही लागी छे. जाणं जेठरो · दो पहरो खुलियो छे. इण भांतरे चांद में जीमरणरो होंस मारगजं छं. दारूसू मतवाळा सिरदार लाहरता बोलै छै. इण भांत प्रारोग परवारिया छै. थाळ बारियां उठाया है. हाथांरी चीकरणाई उतारण पगां मूंगांरा थाळ मंगायज छै तिरा मांहे हाथ मारजे छे. मसळ चीकरणाई उतारजे छे. तठा उपरायंत पाला भारा चळू करण रैपगां मंगायजै छै. चळ कीजै छै. Jain Education International कुरला की छै. हाथां लोहरणन् रूमाल हाजर हुवा छै. हाथ पूछजे छ. इतरैमें तंबोळी वीड़ा प्राण हाजर किया छे. तिके पान किरण भांतरा है. मघी दखणी तोडेरी बाड़ीरा नीपता. तिकारी बीड़ी ब छे. मांहे कपूर चूनो काथो सोपारी घात बीड़ी सिरदारांने दीजे छे. खुस वखत हुवे छे. - · कवीस्वर आसीस दिये छे-अखे न दाता ! ध्रुव मेर ज्यू अटळ, चंद सूर पवन पाणी ज्यू जुगे-जुग राज करंता जुजठळ-वाळा जाग ज्यू, १५ दिल धाई श्रासीस दे, कवि जंप जै अनं घ्रत छिले अपार | दस कूप समो वापी, - For Private & Personal Use Only कार || दस वापी सभी सर । दसां सर - वरां समी किन्या, न - दान विसेखत ॥ इण भांतरी अनेक प्रासीस दिये छे. सो गहरे साद कविराव बोले छै जारी नगारे डंको हुवो कना भेर घाव gat. इरण भांत कवराव श्रासीस देवं छै. तठा उपरायंत श्ररगजो मंगायजे छै. सू अरगजो किरण भातरो छै ? चौखे चढगारा मुठिया गुलावर पाणीस रगडी है. मांहे कपूर कसतरी घातज है. केसर रंग दीजै छै. संधै चमेली www.jainelibrary.org

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