Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 01
Author(s): Narottamdas Swami
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

View full book text
Previous | Next

Page 51
________________ १६ मेलवणी दर्ज है. इरण भांतरे मरगजो रूपेरा रूपोटां मौह धात प्रारण हाजर कोजे छे. प्ररगजो लगायजै छे. tet गंगेव नबाबत दो पहरौ तठा उपरायंत माळा फूलांरी छाबां प्राण हाजर कीजं छै. सू फूल कुरण भांतरा छ ? हजारा नौरंग तुररो मेहदी किलंगो सोनजुही इसकपेचो. खेरी कोयल मालती चांदणी मुखमल परगस हवास गुलमनार दाऊदी के वड़ो और ही अनेक भोतरा फूलारी माळा किलंगी छड़ी सेहरा गुथिया छै. सू सारे साथने बकस थे. फूलांरा चोसरा पातर्ज है. छड़ी हाथांमें विराज रही छं. तठा उपरांत कवरावाने नवाजस हुवे . घोड़ा ऊठ माळा कड़ा सिर-पांव fथरमा बकसीजे थे. तठा उपरांत प्रगुवां वाजदारांने इनाम दीजै छे. मात्रीने मोहताद दीजै छै. सारांहीरी ग्रास- उमेद वर प्राणजे . • इत्तरैमें सात घड़ी बाजी छे. आठवीं अमल छै. सिरदारां- रजपूतां अरज करायी छै - प्रसवार हुयजै, साथ सारो श्रमलां गाढो सदोरो छे. तरां आप उठिया छे. मार्त गजराज ज्यू होंडता थका खवास - पासवारणारे हाथ ऊपर हाथ दियां घूमता थका घोड़े पधारे छ. साहणी घोड़ो प्रारण हाजर कियो छे. पागड़े पग दियो ले. असवार हुवा छै नगर -भर घाव हुवा छे. सादिगारगा बाजे है. जागो ग्राभी गांजे छे तुरी Jain Education International करनाल रणसींगो वाज रह्या सहनाय मांहे खंभायची हुय रही छे. साथ सारो श्रमलांसू लल्हरतो थको वहै. छे. वधाईदार भागे वधाइयां छे. सू बधाई प्राण दीवी है. तठा उपरांयत कामणी हरख मरण उबरणो करे छे. पीठी सिनान करे छे. reat लगायजै छे. सीस गुथायजे छे. बाळ-बाळ मोती सारजं छं. हाम काम लोचनी प्रांभरी बीज. भादुवैरी प्राकासरी परी, मोतियां सरा. ऋत्यां भू बखो. पूम्यरं चंदसो मुख. थाको हंस. असील वंस. बेसुध भैसी सुध. सु श्राभरण पहरे छे. जरकसी साढी, प्रतलसी चरणो, केसरी अगिया, घर विराणपुरैरी कोर पटै लागी थकां सीस ऊपर हीरारी सीस- फूल बणायजै है. मोतियांरी मांग भरजे है. ललाड़ ऊपर अरधचंद्र विराज रह्यो छ. केसर सी. खोळां कीजै छे. हींगळूरी बंदी दीजं . वांका लोयरणामें अणियाळो ठास सजै छ . जड़ावरी लड़ी दांवणी झूटा झू बरा प्रलोक वा रह्या छे. मोतियांरो हार चीढ पंच-लड़ी विराज रह्या छ. जड़ावरा बाजूबंध कांकरण रतन चौक ग्रारसी वींटी विराज रही है. व त्रुड़ो सोनेरी बंगड़ीदार विराजे है. जागे काळी घटामें वीज चमके छै. कट मेखळा जड़ाव री सोहे, छै. सोनेरी पायल For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88