Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 01
Author(s): Narottamdas Swami
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

View full book text
Previous | Next

Page 42
________________ खीची गंगेव नीबाबतरो दो-पहरी बिडियोड़ा, रूपैरा सोनेरा नकस छै. फोफलिया रूपैरा लागा छे. फळां ऊपर । बिनातरा मुखमलरा चकारा लगायज छै. सिलहटी छ. सुध गैंडारी प्रारणांरी छै. घणारी मारी बधै छ. बाहरै महीनां संचे में रहै छै.-मोहर तोलरो रोगान रंग लागो छ. तरवार कटारी वरछीरा दाव ही न लागे छ. सुवररी दांतरी लागतो पण रड़क न ऊतर. गोळी लागै तो उछळ पाछी पड़े. सौन-रूपैरा चांद-फूल, मुखमलरी गादी, सांबरा हथौसा, बोयदाररी डाबा कसा इण भांतरी ढाला सूउपहीज दरखतारी साखासू नागळीजै छै. . तठा उपरायंत तरगसारा कुलावा छुटै छ. सू तरगस कुण भांतरा छ ? लाहोर कसूररी वरणो ठावी,धरणीवनातमें लपेटो थकी, घरण कलाबूतसूमूथी थकी, रूपैरी कुहरी फुलड़ी जीभी लागी थको, तिके ठावी साठ-साठ तीरासू भरी थकी. तिके किण भातरा तीर छ ? गुजरातरी नीपनी सांठी, गाडे गाही, सात वार संचै मारी, लाल स्याह रंग, गजवेल दारगरापैगाम छै, ऊपर सोन्हैरी नकस छै, खुरसागरा उतारिया,माठीरा तिलारिया, ऊपर रूपैरासांबा छ,पीतळ तांबराछला छ, दांतरी चौकड़ी छ, तिलौररापंखारा छ, दांतरा सुफाळा छ, सोन्हैरी हळ लिखी छ, नचमूठरा तीर छै. इसा तीरांसूठाठा भरिया थका. सू उरणहीज बड़ां-पींपळारा दरखतांसू नांगळ छ. तठा उपरायंत तरवारियांरा कमसारिया खुलै छै. सू तरवार्यो किरण भांतरी छै ! सीरोहीरी नीपनी, वे आं अगला बाढ भेरिया थकां जनैब मगरेब पुड़तकाळ सेफ विलायती मुजरी बिरांणपुरी हबसानी फिरंगी. सू म्यान माहां काढ घासमें नांखजै तो पारणीरे भौळावै जनावर ठूग' बाहै. बगतरमें वाही दोय टूक कर. चौरंगमें वाही थकी सो कसिरो चलणिया सार बाढ. लोहमें वाह्यां थकां बालछो ही न पड़े. सू घरण मुखमल वनातरा म्यानां मांहे लपेटी थकी, घणो सौन- रूपमें जड़ी थकी, घरणी बुलगारर साज में लपेटी थकी, उणहीज ढालारा गड़गदांमें मेलज छै. तठा उपरायंत कमारणां कुरमारणां माहे मेलज छ. तिके कमाणां किरण भांतरी छै ? बार वरस दरियावां मांहि जहाजां हेठ बंधी प्राइ चिलेवाइ हकारा करती गुण-भार-बंकी अढार-टंकी असली जादी पठागरी बेदी ज्यू तुही-तुही करतीथकी,बलोचरणी ज्यूलचकार करतो थकी, इण भांतरी कमाणां उणहीज। दरखतारी साखांसूनागळजे छ. तठा उपरायंत कटार्यारा कमर बाँधा छुटै छ. सू कटारी किरण भांतरी छै? विराणपुररो, रामपुरारी, बूदीरी, राजासाही, पोडारी, अढाई, भोगलीरी. कोताखानी, पाडाजीभी, घरण सोनमें झकोळी थकी,नव नगां राछांसू भरीथकी, तठा उपरायंत ढालांरा अलीबंध खुलै छै. सू ढालां किरण भांतरी छै. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88