Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 01
Author(s): Narottamdas Swami
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

View full book text
Previous | Next

Page 40
________________ खीची गंगेव नौंबावतरो दो-पहरी रवानका ऊपर जुरराष्टै छ. तिलारां ऊपर वासा छुटै छ. लवां ऊपर सिकरा छटै छै. बटेरा ऊपर तुरमती छटै छ. बोवड़ा ऊपर चिपक छुट छ. बुरजांऊपर लगड छुटै छ. कुलंगा ऊपर कुही छूट छै. इण भांत देसौत राजेसर सिकार खेले छै. . घोडादौड रह्या छ. होकारा हंगामो हय रह्यो छ. जितरंबीच थोहर झाडारा विडा मांहां खरगोस उठिया छै. मू किरण भांतरा छै? मोटा घेदा छ. तोबडिया छ. घगा लील जडी-बूटीरा चरणहार,पांहरै पाणीरा पीवणहार.तिका ऊपर कुनारी डोर छटी छ. बांठ-बोझा कूदै छ.धुचली खाय रह्माछ. ठुलीरी,गोफणरी,तीरांरी चोटां हुय रही छ. के घोडा पाखड छे. घोड़ारापगांसू कांकरा-पथर उछळं छ. पड़ छै. मसूबर किरण भांतरा छ ? भूरा, कवळा कई अवलख छ.डार अकं पार्म छ. अवाल अंक तरफ छ सू अकल किरण भांतरो छ. जैरो वारहं प्रांगळ खग लीडीकट छ, कांधो-पूठ अक सारखो, छ. गुळवाड़ गोहं जव चिरणांरो, जुवाररो चरणहार छ. मयमत छै. सू चर चर फरणियां पाया छै माछूरांरा संताया. थोहरनै झाड़रा बिड़ा सुखसे छे घूड वाहै छै सू जड़ा समेत उखाड़ नाखै छै. इसा सुवरांरा मोरां ऊपरां राजानां घोड़ा लगाया छै. वरछियाराधमोड़ालाग रह्या छै. चूकमारांरी खाटखड़ लाग रही छै. कई घोड़ासुवरांरातू डांसू उछळ पर पड़े छ. तरवारां वहि रही है. कटारी वहि रही छ. कई सेल्ह तुटै छ. कैई ग्राधी सलै छ. सुवर मारजै छ. ऊँटा ऊपर घातजै छै. . इतरै बीच हिरगणारा डार आय नीसरे छ. तिके किरण भातरा हिरण छै? काळा वडा बेगड छै,मूहडार डारमें मेघ हुय रह्या छं.माहे राग छ जिके कूद-उछळ छ, रोगटा हिरण छ.सु रुत प्राइ हिरणीने घंचता फिरै छै. सबळो हिरण निवळं ने घेचे छ. इव डार करोलां मुहाग आगा काठियो छ. तिकां ऊपर चीता इट है. कुल फां दूर कीज छ तमासी वगा रह्यो छ. इस समइयमें धूप तपै छ. रानग अमलारी खुमारियां देमौना-जानांने तिल लार्ग छ. नद नाडी माम्ही बाग वाळी छ. सिकार मरव अंक ठोकर रहकला ऊठा ऊपर घातजै छ होस माणगा तळाव पाया छै. इस समइयमें भालुवां प्राग अरज कीवी छै. भाखरांरा खुडां वहां माहां सूवर नीचा उतरिया छै. राजानां देमोला 'सूवरां सामी वाग लोवी छ. फडकडा फड़वडायां जावं छ. इसमें सूवर नजरां तिको तळाव किण भांतरौ छै.रानी वरडीरी. पांइरी नीर. पवनगै मारियो फीगग पाछटतोयको झोला खाय रह्योछ. लहगं लिय है. अथग डोव छै. कड़ियां भुवै पागीमें पंटा पगारा नख झाब छै. दुधरे भोळावै विलाव वागो छ. ऊपर कुजा, सारसां गहकन रही है. डेडरा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88