Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 01
Author(s): Narottamdas Swami
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
View full book text
________________
खीची गंगेव नींबावतरो बो-पहरी
कर छ. कसूमल केसरिया हरी सबज सपतालू सोसनिया नारंगिया सपेत.
जाणं तिजाराकी वाड़ी फूली छ ऊपर उपहीज वणता हथियार बांधज छै.
ग्यानरो गोरख, सहदेव ज्यूसारी बात समरथ ; अरजुन ज्यू बाग, करण ज्यूदान-पाण; वत्तीस आखडीरो निवाहणहार, . वैरियां विभाडणहार, पर भोम पंचायण, घण दियरण, जस लियरण, कळायरो मोर, सू भीने गात,
तरवार कटारी ढाल छुरी तरगस बंदूक बरछी गिलोल गोफण चूकमार. और ही भांत भातरा प्रावध सझिया थका चौक पधार छ.
केसरिया पौंसाख कियां, पांच हथियारां बांधां प्राण, घोड़े प्रतवार हुवै छै.
सू किरण भातरा छैकाल्हीरो कळस, सतीरो नाळेर, तोरण प्राखा, कुवारी घड़ारा वींद, गाहरा गाडा, फोजारा लाडा, काचा कुभ ज्यू कापा जाणे, परायी छठी जागै, रिडतो तेज, भूखियो लोह लियां रहे, काछ-वाच निकळक.
नगार इक डंको बागो छै, मीर सिकाराने हुकम हुवो छै.
बाज, जुररा, कुही, बहरी, सिकरा, लगड़, चिपक, तुरमती साथ लीज छ.
चीतेवाणाने हुकम हुवो छ. चीता साथ लीज छ, घोडारी पूठ तखतां ऊपर बैठा छै. प्रख्यां प्राडी कुल्हे छ. सकळायतरा पटा, रूपैरी भंवर कड़ी, रेसमरी डोर.
तिके चीता कठारा छ ? मरोटरा, अाधोरा, देरावररा, रोहरा, थटैरै पहाड़ारां, ईडररा डूगरांरा, जाळोररा पहाडांरा, पावररा थळारा, पारकररा विहडारा. इसा चीता साथ लीज छ.
तठा उपरायंत गंगेव नींबावत बाहर पधारै छै. सू किरण भांतरो छ ?
ऊगतो सूरज. पावासररो हांस, कुवरांपत कुवर, जळहर जबाध भोगी भंवर; कसतूरियो निघ, लांधियो सिंघ; सीळ गंगेव, दुरजोधन अहमेव; जुजठळ ज्यू साच, दुरवासा वाच; .
__ ""हतरांनै हुकम हुई छ. कुतारा डोर छटै छ. लाहोरी ताजी लूच बाण गिलजी पहाड़ी. जिकांरी मूडहथ मोह नाळ, हाथ भर नस, वडर पान जिसा
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88