Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 01
Author(s): Narottamdas Swami
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 39
________________ खीची गंगेव नींबावतरो दो-पहरी कान, ताजणासेद पूछ, नाहरसा पंजा, प्याला. ठकरणी, लोटा, पाला, बाजोट. बाघसी अांख, पालळो लीक जाड प्रांठू'. और ही सब छकड़ा गाडा घात जै छै. इण भातरा कुता. बनातो पटा, रुपेरी भंवरकड़ी, रेसमी डोर, कानांमें रूप सोनेरा वेढला, गळं में निजरा ताइत. तठा उपरायंत मौदियांन हुकम हुवी इण भात सू प्राण हाजर हुवा छ. छ. भूजाई मारू सारी ही वसत सीधो मीठाण वेसवार परब लेय राती-नाडी चालज्यो, म्हे सिकार रम उण नाडी आवां छा.सू मोदी भोई तोपाधरा नाडीर, इकां वेहलां रहकलां ऊपर बैसाणज मारग वहीर हुवा छै.आपरमरणर मारग छै.सू इका वेहला रहकला किण भांतरा भाखरांने खुडार मारग चालिया छै. छ ? गुजराती, सुरती, खंभाइची, भृज घोडारा पोडांसू जमी गूंज रही छ. नगरी, हेसारी, उजीरणरा, बरिणया धणे खेहरो डोरो आकासन जाय लागो छः सी सूरा, पीतल लोह दांतरा जड़िया, घूघरमाळ घोडारी बाज रही छ. हीस लाल सलहटीरा गदरा बिछाया थका, कलल होफ हुयनै रही छ. वहलियांरा चांदणी ढालिया थकां प्राण हाजर हुवा घूघरां जंगारो झमकार हुयने रह्यो छ. छ. वेहलियांरी फुरणी बाज रही छै. जग वहलांरा वांस पइयांरो खडबडाट हुयने घुघरा बाज रह्या छ. सू वेहलिया किरण रह्यो छै, होकारा हुयनै रह्या छै. भांतरा छ ? थेट काकरेचरा छ,सोरठरा नगार इक उंको हुयनै रह्यो छ सहनायां छ, हालाररा छ, सुवालखरा छ, देस- में मलार राग हुयनै रह्यो ऊं. निसारण देसरा इकरंग सपेत छै. जांहरो सपेती मुहडं आगे फरहरनै रह्या छै. नकीब, प्रागै बगला ही मगसा नजर प्राव, चोपदार नजर दौलत.सू सूरजरी किरणने मंहदी सुरंगियावनातरामोहरालाले सुतरी वरछियारी के किरण हुयन रही नाथा. रेसमरी रास, सींगा पीतळरी. छै. इसो समीयो वरणनं रह्यो छ. खोळी. वनाती झूला घातियां रहकलां इकां खड़सला जूता छ. सू हालियां थकां घोड़ारी माम पाई. इसा बेहली जूता तठा उपरायंत ऊठां चढियां रहकला इका खड़सल प्राण हाजर रबारियां प्राण मुजरो कियो छै. सूऊठ हुवा छ. कुण-कुरण दिसावररा छ ? काछी बोदला छपरी जालोरी वगरू बलोची सिववाडिया खाडालिया. औरही अनेक जात-भांतरा ऊठ छ. सूसाथरो घूमरो तठा उपरायंत भोइयांनै हुकम हुवौ कियां थका रमण सिर पारण खड़ा छै. भूजाईरा वासण तयार कर राती हुवा छं. नाडी चालज्यो. सू वासरा तयार की छ. देगां, चरू, कढाई, कुड़छी, खरपा, डहोला, झरहर, चालणी,थाळ,कटोरा, हमै तीतरां ऊपर बाज छुट छै. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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