Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 01
Author(s): Narottamdas Swami
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

View full book text
Previous | Next

Page 46
________________ खोची गंगेव नींबावतरो दो-पहरौ सांतरा, पटाडांरा चोलुवा बणायां थकां कागा कसरणा कीयां थकां चढ खड़िया छं. गांव-गांव मांहां दहीरा कळस मेल्हजै छै. जेवड़ां मांहां बाकरा उठायज छै. किरण भांतरा बाकरा छे. रातड़िये रिगरा, उजळां थळांरा, घरणी गांगुवरण हींगवणरा चरणहार, घर काचर तुबेरा चरणहार, गुवार चिड़ी - मोठराखावरणहार, भाह रे सादरा, कड़कती नळीरा, कबाड़िया दांतांरा, कमर वा ऊचा, चिलकता मोरांरा, माडर खेतरा, मादळियां पेटारा, बालखासी बोकड़ा, खोड़ खील्हेरीरा चरिया कुरणियारो बेसणहार, कूभटे सुरणहार, आयबेरा चरणहार.. सो उहां ऊठा ऊपर मसकांरी पर दोय- दोय बांधजै छै. चलायां आया है. राजानांसू प्राय मुजरो कियो छे. बाकरांतू वरको करणारे पगां अलवळिया मोट्यारांतू हुकम कीजै है. सुसीलां मीरोहियां लेने ऊठिया छै. मलकती वीखां भरै छै. जारं पावासररो हंस मोती चुगरण चालियो छै. दोय दोय बाकरांरी सिल्हाड़ने ठरका हुवे छे. तरवारांरा छणकार हुयनै रह्या छं. चौरंगारी खाटखड़ हुयनै रही छं. कटोरां मांहे फूल लीजं छै. बाकरा होसनाकां वसू कीजै छै. देसीत रवां धोय हाथ ऊजळा कर विसायतां ऊपर विराजमान हुआ . Jain Education International ११ तठा उपरायंत हुकांरी होंस कीजं छै. चाकरांने हुकम हुवौ छै. हुका तयार की छे. किरण भांतरा हुका र्छ? सोनेरा, रूपरा, विदरी, खांखोळ ठाढा पाणीस भरजं छै. नींचं सुथरा विछायजै छे. ऊपर हुका मेल्हजं छै. नमचा सरद कीर्ज छै. सू नमचा किरण भांतरा है ? वीटीवा, चौगानिया, घर वनातरा लपेटिया, सालूरा लपेटिया, बोयदाररा मढिया, चतरा, कलाबूतरे कामरा, सोनंरूपरै बळांरा,रूपैरा कुलाबा लागा थका, सोनेरी टूटी, रूपेरी चिलम, चिलमपोस है. तमाकु वरणायज छै. सू किरण भांतरो तमाकू छै ? सूरत नीनो, तांब रंगरी, जाडे पान. करड़ी डांवळीरो, सू इभांत तमाकू. सू चिलमां भरजे छे. ऊपरां थोहरा आकरा कोयलांरा चिलमिया मेल्हर्ज छं. जाणं सहिजादेरा ताइत, बभूत लगायोड़ा जोगीसा छं. तिणारी होंस मारणजै छं. मधरो-मधरो खांचजै छे.घरराटा हुयनै रह्या छे जा प्रभो मध गाज छै.धु वैरो डोरो लाग रह्यो छै.सू जाणं आसाढरी खाली प्रोमां है छै. तठा उपरायंत खसबोय मंगायजै छे, सू तर किरण भांत है ? गुलाबरो चनगरो फितनरो वुररो खसरो करणरो, सू सीसी खुली छं. सीकां भर-भर काढ छ, लगायी छे, मुनहारां कीजै छै. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88