________________
___44. ठाणणिसेज्जविहारा धम्मुवदेसो य णियदयो तेसिं।
अरहंताणं काले मायाचारो व्व इत्थीणं।।
तथा
..
ठाणणिसेज्जविहारा [(ठाण)-(णिसेज्जा-णिसेज्ज) खड़े रहना, बैठना,
-(विहार) 1/2] . गमन करना . धम्मुवदेसो
[(धम्म)+(उवदेसो)]
[(धम्म)-(उवदेस) 1/1] धर्म का उपदेश य
अव्यय णियदयो (णियदयो) अव्यय
अचूक रूप से पंचमी अर्थक ‘यो' प्रत्यय तेसिं . (त) 6/2 सवि अरहंताणं (अरहंत) 6/2
अरिहंतों की काले (काल) 7/1
अवस्था में मायाचारो (मायाचार) 1/1 , मातृत्व अव्यय
के समान इत्थीणं
(इत्थी) 6/2 . स्त्रियों के
उनका
अन्वय- अरहंताणं काले तेसिं ठाणणिसेज्जविहारा य धम्मुवदेसो इत्थीणं मायाचारो व्व णियदयो।
अर्थ- अरिहंतों की अवस्था में उनका (अरिहंतों का) खड़े रहना, बैठना, गमन करना तथा धर्म का उपदेश (धर्मोपदेश देना)- (ये सब क्रियाएँ) स्त्रियों के मातृत्व (माता के आचरण) के समान अचूक रूप से (अनिवार्य रूप से) (होती है)।
1.
यहाँ छन्द की मात्रा की पूर्ति हेतु ‘णिसेज्जा' का ‘णिसेज्ज' किया गया है।
(56)
प्रवचनसार (खण्ड-1)
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org