Book Title: Pravachansara Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 163
________________ परिशिष्ट - 3 . सम्मति द्रव्यसंग्रह आपके द्वारा प्रेषित 'द्रव्यसंग्रह' (2013) की प्रति मिली। आपके सम्पादन और श्रीमती शकुन्तला जैन के अनुवाद के साथ द्रव्यसंग्रह का यह उपयोगी संस्करण तैयार हुआ है। इससे सिद्धान्त और प्राकृत व्याकरण दोनों का ज्ञान पाठकों को हो सकेगा। व्याकरणात्मक विश्लेषण के साथ तो प्रथम संस्करण ही है द्रव्यसंग्रह का। इस सारस्वत अध्ययन के लिए आप सबको बधाई। पुस्तक परिशिष्ट में दिये गये सभी कोश प्राकृत शब्दशास्त्र के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। गाथाओं का छन्द-विश्लेषण भी पहली बार देखने में आया है। यह संस्करण आदर्श है सम्पादन कार्य का और सुन्दर निर्दोष प्रकाशन का। द्रव्यसंग्रह प्रायः जैन शिक्षण शिविर और सभी प्राकृत की परीक्षाओं के कोर्स में है। श्रवणबेलगोला, मैसूर, सोलापुर, उदयपुर, जयपुर, दिल्ली, नागपुर आदि स्थानों के संचालित पाठ्यक्रमों में यह द्रव्यसंग्रह निर्धारित है। लगभग 67 हजार छात्र प्रतिवर्ष इसकी परीक्षा देते हैं। अतः इसका एक छात्र संस्करण भी पेपर बैक में आप लोग प्रकाशित करें तो समाजसेवा होगी और छात्रों को ज्ञानदान भी। श्री महावीरजी संस्थान इसमें समर्थ है। प्राकृत के सभी विद्वानों और विभागों को भी आपका यह द्रव्यसंग्रह पहुँचना चाहिए। डॉ. प्रेमसुमन जैन पूर्व प्रोफेसर एवं अध्यक्ष जैनविद्या एवं प्राकृत विभाग मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय उदयपुर निर्देशन एवं संपादन- डॉ. कमलचन्द सोगाणी अनुवादक- श्रीमती शकुन्तला जैन (156) प्रवचनसार (खण्ड-1) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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