Book Title: Pravachansara Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 162
________________ उदाहरण ऽ ऽ ऽ ऽ ।। ऽ ते ते सव्वे समगं ऽ ऽ । । sss वंदामि य वट्टंते ऽ ऽ ऽ ।। ऽ ऽ चारित्तं खलु धम्मो ऽ ऽ ऽ ।। ऽ ऽ मोहक्खोहविहीणो ऽ । । ऽ ।। ऽऽ णत्थि विणा परिणामं ऽ । ।। ऽ । ऽ ऽ दव्वगुणपज्जयत्थो प्रवचनसार ( खण्ड - 1 ) ।। ऽ ऽ ऽ । ऽ। ऽ ऽ ऽ समगं पत्तेगमेव पत्तेगं । Jain Education International ।। ऽऽ ऽ। ऽ ऽ ऽ अरहंते माणुसे खेत्ते ।। S S S S । ऽ SSS धम्मो जो सो समो त्ति णिद्दिट्ठो । ।। ऽ ।। ऽ ऽ ऽ । ऽ परिणामो अप्पणो हु समो ।। ऽ ऽ ऽ ऽ । ऽ। ।। ऽ ऽ अत्थो अत्थं विणेह परिणामो । S S अत्थो ss Is s s अत्थित्तणिव्वत्तो।। SSSSIIS धम्मेण परिणदप्पा ऽ ।। ऽ ऽ । ।ऽ । ऽ। ऽ ऽ 1 ऽ ॥ ऽ पावदि णिव्वाणसुहं सुहोवजुत्तो व सग्गसुहं । । S S ऽ। ऽ। ऽ।। ऽ अप्पा जदि सुद्धसंपयोगजुदो । For Personal & Private Use Only (155) www.jainelibrary.org

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