Book Title: Pravachansara Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 149
________________ विमल विविह विसम शुद्ध नाना प्रकार का 59. ___70, 74, 84 47, 51 असमान 76 विसयवस कष्टदायक विषयों के अधीन विशुद्ध/शुद्ध 66 विसुद्ध संबद्ध 2, 5, 15, 78 - युक्त 1 . . संभव उत्पन्न 72 . सक्क संभव सग . सद स-पज्जय स-पदेस सपर स्वयं का विद्यमान पर्याय-सहित प्रदेश-सहित पर की अपेक्षा रखनेवाला विद्यमान . अपनी (दीप्ति) समान सब्भूद स (भासा) सम समत्त समस्सिद समिद्ध समुत्थ समुन्भव सयल पूर्णतः निर्भर सम्पन्न उत्पन्न उत्पन्न समस्त (142) प्रवचनसार (खण्ड-1) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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