Book Title: Pravachansara Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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रयण
रत्न
रस राग
अकारान्त पु., नपुं. 30 अकारान्त पु., नपुं. 56 अकारान्त पु. 14 अकारान्त पु. 78, 81, 83, 84,
आसक्ति
राग
___88 - .
रूव
लय
रूप समाप्ति चिह्न/लक्षण
लिंग लोग लोय
लोक लोक
वग्ग
वर्ग
वड्डमान
वर्धमान वर्ण
वण्ण
वयण
वचन अरिहंत प्रयत्न
___
वसह वावार विणास विण्णाण विद्धि
अकारान्त पु., नपुं. 28, 29 . अकारान्त पु. . 80 अकारान्त नपुं. 85 अकारान्त पु. 16, 68 अकारान्त पु. 23, 33, 61 अकारान्त पु. ... 4 अकारान्त पु. 1 . अकारान्त पु. 56 अकारान्त पु., नपुं. 34 अकारान्त पु. 43 अकारान्त पु. 64 अकारान्त पु. 17, 18 अकारान्त नपुं. 58 इकारान्त स्त्री. 73 अकारान्त नपुं. अकारान्त पु. अकारान्त पु. अकारान्त पु. 26, 63, 64, 65,
67, 71, 85, 74,75 अकारान्त पु.
प्रवचनसार (खण्ड-1)
विनाश
ज्ञान बढ़ोतरी रीति वीतराग
विधाण विराग
विषय
विसअ विसय
विषय
इन्द्रिय-विषय
13
(126)
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