Book Title: Pravachansara Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 140
________________ अब्भुट्ठि उद्यत अभिरद अत्यन्त आसक्त अविट्ठ भीतर पहुँचा हुआ भी नहीं अहिद्दुद उच्छण्ण उत्त उदिण्ण उद्दिट्ठ जुत्त उवलद्ध खविद ग़द गय जाद जुत्त जुद Jain Education International दुःख का अनुभव भूक अनि किया हु ढँका हुआ कहा उत्पन्न हुई कहा गया संलग्न प्राप्त किया हुआ समझ लिया समाप्त किया आश्रित आये हुए प्राप्त हुआ. प्राप्त हुई हुआ टिका हुआ उत्पन्न हुआ प्राप्त हआ युक्त युक्त प्रवचनसार (खण्ड-1 -1) भूक अनि भूकृ अनि भूक अनि भूक अनि भूक अनि भूक अनि भूक अनि भूक अनि भूक अनि भूक अनि भूक अनि भूक अनि भूक अनि भूक अनि भूक अनि भूकृ भूकृ भूक भूकृ भूक अनि भूक अनि For Personal & Private Use Only 2220 92 73 29 63 8 2 1 35 83 42 75 23 11 57 81 82 20 43 55 41 5 888186 19 22 20, 59 60 70 11 (133) www.jainelibrary.org

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