Book Title: Pravachansara Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 143
________________ संछण्ण संजाय संजुद संतत्त संबद्ध समक्खाद समुट्ठिद सहिय सिद्ध अधिदव्व कायव्व य मुणेदव्व संखवइदव्व (136) Jain Education International पूर्णतः ढँका हुआ भूक अनि उत्पन्न हुई भूक अनि संयुक्त अत्यन्त पीड़ित पूर्णतः निर्मित कहा गया भूक अनि उचित प्रकार से भू अनि भूक अनि भूक अनि भूक अनि प्रयत्नशील / उठा हुआ सहित निष्पन्न प्रमाणित समझा जाना चाहिये समाप्त किये जाने चाहिये भूक अनि .. भूक अनि विधि कृदन्त . अध्ययन किया जाना चाहिये किया जा सकता विधिक अनि जानने योग्य विधिक अनि विधिक अनि विधिकृ विधिक अनि For Personal & Private Use Only 38838 77 14 75 36 36 · 79 उ 76 71 86 67 15, 20, 23, 28, 29, 36, 42, 53 8 84 प्रवचनसार (खण्ड-1 -1) www.jainelibrary.org

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