Book Title: Pravachansara Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 141
________________ 31, 35 38. 61. णाद णिहिट्ट णिवदिद णिव्वत्त णिव्वाद णिहद तग्गय दुट्ठ । धोद पक्खीण पच्छण्ण पण्णत्त परिणद स्थित भूक अनि नष्ट हुई भूकृ अनि समाप्त किया गया भूकृ अनि जाना गया भूक कहा गया भूकृ अनि सम्मुख आये हुए भूक बना हुआ भूक अनि संतृप्त हुए भूकृ अनि नष्ट की गई भूक अनि उनमें स्थित भूकृ अनि द्वेष-युक्त हुआ भूक अनि धो दिया भूकृ अनि नष्ट किया गया भूकृ अनि ढका हुआ भूकृ अनि' कहा गया भूकृ अनि परिवर्तित भूकृ.अनि परिवर्तित/रूपान्तरित रहित भूकृ नष्ट हुई भूकृ भीतर पहुँचा हुआ भूक विभूषित भूकृ अनि । कहा गया भूक कहा गया 54 8, 40, 52 . परिवज्जिद पलाय पविट्ठ पसिद्ध भणिद भणिय 14, 57, 58, 60 26, 34, 41, 43, 47, 59,87 (134) प्रवचनसार (खण्ड-1) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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