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70. जुत्तो सुहेण आदा तिरियो वा माणुसो व देवो वा।
भूदो तावदि कालं लहदि सुहं इन्दियं विविहं।।
जुत्तो
सुहेण
युक्त . शुभ (उपयोग) से आत्मा तिर्यंच
आदा
तिरियो
...
वा
माणुसो
... या . . मनुष्य
देवो
(जुत्त) भूकृ 1/1 अनि (सुह) 3/1 वि . (आद) 1/1 (तिरिय) 1/1
अव्यय (माणुस) 1/1 अव्यय (देव) 1/1
अव्यय (भूद) भूकृ 1/1 अनि (तावदि) 7/1 वि अनि (काल) 2/1 (लह) व 3/1 सक (सुह) 2/1 (इन्दिय) 2/1 (विविह) 2/1 वि
वा .
देव तथा
हुआ उतने तक
तावदि
कालं
समय
लहदि
.
सुह
प्राप्त करता है सुख को इन्द्रिय नाना प्रकार के
इन्दियं
विविहं
अन्वय- सुहेण जुत्तो आदा तिरियो वा माणुसो व देवो वा भूदो तावदि कालं विविहं इन्दियं सुहं लहदि।
___ अर्थ- (जो) शुभ (उपयोग) से युक्त (होता है) (वह) आत्मा या (तो) तिर्यंच या मनुष्य या देव हुआ (है) तथा (वह) उतने समय तक नाना प्रकार के इन्द्रियसुख को प्राप्त करता है। 1. कभी-कभी द्वितीया विभक्ति के स्थान पर सप्तमी विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है और
कालवाची शब्दों में द्वितीया का प्रयोग होता है। (हेम-प्राकृत-व्याकरणः 3-135)
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प्रवचनसार (खण्ड-1)
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