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82. सव्वे विय अरहंता तेण विधाणेण खविदकम्मंसा।
किच्चा तधोवदेसं णिव्वादा ते णमो तेसिं।।
य अरहता तेण विधाणेण खविदकम्मंसा
(सव्व) 1/2 सवि
- सब .. अव्यय
ही अव्यय
और (अरहंत) 1/2
अरिहंतों . (त) 3/1 सवि
. . . उसी ... (विधाण) 3/1
रीति से __ [(खविदकम्म)+(अंस)]
[(खविद) भूकृ अनि- समाप्त किया (कम्म)-(अंस) 2/2] कर्म-खंडों को (किच्चा) संकृ अनि . करके [(तध)+(उवदेस)] तध (अ)= उसी प्रकार उसी प्रकार उवदेसं (उवदेस) 2/1 उपदेश (णिव्वाद) भूकृ 1/2 अनि संतृप्त हुए (त) 1/2 सवि अव्यय
नमस्कार (त) 4/2 सवि
उनको
किच्चा तधोवदेसं
णिव्वादा
णमो
तेसिं
अन्वय- सव्वे वि अरहंता तेण विधाणेण कम्मंसा खविद य तध उवदेसं किच्चा ते णिव्वादा तेसिं णमो।
अर्थ- सब ही अरिहंतों ने उसी रीति से कर्म-खंडों को समाप्त किया और उसी प्रकार उपदेश करके वे (अरिहंत) संतृप्त (मुक्त) हुए, उनको नमस्कार।
1. 2.
भूतकालिक कृदन्त का प्रयोग कर्तृवाच्य में किया गया है णमो' के योग में चतुर्थी होती है।
(94)
प्रवचनसार (खण्ड-1)
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