Book Title: Pravachan Ganga yane Pravachan Sara Karnika
Author(s): Bhuvansuri
Publisher: Vijaybhuvansuri Gyanmandir Ahmedabad

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Page 12
________________ नव प्रभात प्रिंटींग प्रेस के मालीक सेठ श्री मणीलाल छगनलाल शाहः ने शीघ्र छाप दीया है उनका आभार मानते हैं। और श्रीयुत भीखालाल वाडीलाल कुवाडीया ने यह ग्रन्थ छपतेः समय अनेक विध निःस्वार्थ सेवा दी है उनका भी हम आभार मानते है । इस ग्रन्थ प्रकाशन में पूज्य महाराज श्री की प्रेरणा से जिन्होंने उद्धार दिल से द्रव्य सहायता की है, उनको धन्यवाद । विश्व में आज कदम कदम पर बीभत्स साहित्य बढ़ रहा है । उससे प्रजामानस के चिन्त में जो खराव भावना प्रवेश करती है, उसके सामने आज शिष्ट, सुन्दर और धार्मिकता के सुसंरकारों, की खेती करने वाले साहित्य की बहुत जरूरत है। इस प्रसंग में यह ग्रन्थ खूब उपयोगी सिद्ध होगा यही हृदय. की भावना है । गत साल में "श्री प्रवचनसार कर्णिका नामका ग्रन्थ गुजराती भाषा में छपते ही चपोचप सब नकल उपड़ने लगी। राजस्थान के अनेक धर्म प्रेमी भाइयों की मांगनी से यह ग्रन्थ हिन्दी भाषामें पूज्य मुनिराज श्री जिनचन्द्र विजयजी महाराज ने एवं कवि श्री बाबूलाल शास्त्री ने खूब परीश्रम लेकर सुवाच्य शैली में लिख कर तैयार किया है। गुजराती ग्रन्थ के लिये शताधीक अभिप्रायः हमारे उपर आये है, उसमें से राजस्थान सरकार के प्रधानों के अभिप्रायः इसमें छपाये हैं। यह प्रवचन गंगा याने प्रवचनसार कर्णिका नाम का ग्रन्थ हिन्दी में छपा रहे है यह ग्रन्थ समाज को खूब खूब उपकार होगा। वि. सं. २०२५ । महा मुद-१३ । पूज्य आचार्य विजयभुवन सूरीश्वरजी जैन ज्ञान मन्दिर ट्रस्टना ट्रस्टीओ नु. अहमदावाद M. Ahmedabad.

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