Book Title: Prashnottaraikshashti Shatkkavyam
Author(s): Jinvallabhsuri, Somchandrasuri, Vinaysagar
Publisher: Rander Road Jain Sangh
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अन्त- सोलहसई सतसठा वच्छरइ, श्री मुलताण मझारि।
फागुण मासि धवल पंचमी दिनइ, संघ सयल सुखकारि॥ ५॥ खरतरगच्छ जिनहंस सूरीसर, महिमा गुण अभिराम। तासु सीस उवझाय शिरोमणि, पुण्यसागर गुणधाम॥६॥ तसु पदपंकज मधुकर सम सोहइ, पदमराज उवझाय। ए सम्बन्ध भणइ सुखकारणइ, पास जिणंद पसाय॥७॥ युगप्रधान जगमांही परगडो, श्रीजिनचंद्र जतीस। आचारज जिनसिंह सूरीसर, तसु आदेश जगीस॥८॥ भणइ गुणइ जे भवियण सांभलई, ये सम्बन्ध रसाल। ते पामइ कल्याण परम्परा, तसु उपदेश विशाल ॥९॥ सनत्कुमार रास, रास चौपई, राजस्थानी, १६५० जैसलमेर, यह ग्रन्थ । अप्रकाशित है। इसका उल्लेख जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. ३९३, भाग-३, पृ.८७५ में किया गया है।
इनकी राजस्थानी भाषा में रास के अतिरिक्त स्तवनादि कई लघु कृतियाँ भी प्राप्त होती है। जिनका उल्लेख इस प्रकार है:
अष्टापद स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-जिनचंद चरण नमी... गा. १४', अप्रकाशित प्रतिलिपि विनयसागरजी के संग्रह में। आदिजिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. २१', विनय प्रतिलिपि ऋषभ जिन स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'गा. ४', अप्रकाशित प्रतिलिपि विनयसागरजी के संग्रह में। ऋषभ लीला, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-रामति अतिरलीयामणि...', अप्रकाशित गुणस्थान विचार स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-जग पसरत अनंत कंत... गा. २१', अप्रकाशित, हस्तलिखित प्रति-अभय ग्रन्थालय, बीकानेर, राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर २९०६३ (७७) आदि संग्रहों में विद्यमान है। गौतम स्वामी गीत, गीत स्तवन, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि–इन्द्रभूति
गुरु लब्धिनिलो... गा. ३', अप्रकाशित ७. चौवीस जिन ९ बोल स्तवन, गीत स्तवन, राजस्थानी, १६६७ मुलतान,
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