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जिससे हम संसार में न गिरें। एगो हं, नत्थि मे कोई--मैं अकेला हूँ, मेरा कोई नहीं है। जो सत्थं पढेइ तस्स सुह लाहो--जो शास्त्र पढ़ता है, उसे सुख मिलता है। जो अप्पाणं जाणदि सो सव्वं जाणदि--जो आपको जानता है, वह सबको जानता है। एम ख णाणिणो सारं-- यही ज्ञानी के लिए सार है। अम्हे अण्णा अणुहरामो--हम लोग दूसरों का अनुकरण करते हैं। हिन्दी में अनुवाद कीजिये
अहं नमामि । हं वत्थं धारेमि । अम्हे पढामो । सो तुज्झ धणं देइ । तुम्हे जाणह। तुम कि करोसि । ते गच्छन्ति । तस्स पुत्तो पढइ । अस्स पोत्थयं अस्थि ।। एते णमन्ति । इमो देवं णमइ। जे जिणवयणं ण जाणन्ति ते संसारे भमंति। एगो मे सासओ अप्पा। तुज्झ पणामो वि बहुफलो होइ । जो अप्पाण झायदि तस्स परम समाही हवइ । प्राकृत में अनुवाद कीजिये
यह बोलता है। वह दौड़ता है। तुम पढ़ते हो। मैं जाता हूँ। हम नमस्कार करते हैं। वे हँसते हैं। वह घर में रहता है। तुम जल पीते हो। मैं पुस्तक पढ़ता हूँ। हम भोजन करते हैं।
प्राकृत सीखें : ३१
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