Book Title: Prakrit Sikhe
Author(s): Premsuman Jain
Publisher: Hirabhaiya Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 45
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वाक्य-प्रयोग सो दुद्धं पासी (उसने दूध पिया), पाचओ भोयणं गिम्मीअ (रसोइये ने भोजन बनाया), तुम इदं किं करीअ ? (तुमने यह क्या किया ?), देवदत्तो वाराणसीए पढीअ (देवदत्त ने बनारस में पढ़ा था), ते जणा अण्पं झाहीअ (उन लोगों ने आत्मा का ध्यान किया), अहं रोटिअं खादी (मैंने रोटी खायी), तुमं जिणवाणी पढीअ (तुमने जिनवाणी पढ़ी), गोयमो महावीरं पुच्छीअ (गौतम ने महावीर से पूछा), साहूणो देववंदणं समायरीअ (साधुओं ने देवताओं की वंदना की), सेणिओ नाम नरवइ होत्था (श्रेणिक नाम का राजा था), नेहेण सो दुक्खं पावीअ (उसने स्नेह से दुःख पाया), तित्थयराणं उसहो पठमो होत्था (तीर्थंकरों में ऋषभ प्रथम हुए)। हिन्दी में अनुवाद कीजिये बालआ हसीअ । ते पाणीयं पाहीअ । तुम्हे तत्थ ठाहीअ। अम्हे सच्चं भासीअ । सा गीयं गाहीअ । तुम गामं गच्छीअ । सो अधम्मं काही । मुणिणो झाही । महावीरो विहरीअ । गोयमो सत्थाणि पढीअ। प्राकृत में अनुवाद कीजिये __ मैंने पुस्तक पढ़ी। उसने खेला । तुमने गीत गाया । हमने भोजन किया। उन्होंने सत्य बोला । मयूर नाचे । मेघ बरसा। राजा ने देव को प्रणाम किया। आर्ष प्राकृत में भूतकाल के प्रयोग भतकाल के उपर्यक्त प्रयोगों के अतिरिक्त आगम ग्रन्थों की प्राकृत में कुछ अन्य अनियमित प्रयोग भी देखने को मिलते हैं। (१) प्रायः प्रथम पुरुष के एकवचन में स्था, इत्था, इत्थ तथा बहुवचन में इंसु, अंसु जैसे प्रत्यय धातु के साथ जुड़ते हैं; यथा-- हो+ त्था होत्था, हो + इंसु होइंसु (हए); ने+इत्थानेइत्था, ने+इंसु=नेईसु (ले गये); हस+ इत्थ हसित्थ, हस+ इंसु=हसिंसु (हँसे); री+इत्था=रीइत्था, री+ इंसुरीइंसु (विहार किया); प्राकृत सीखें : ४४ For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74