Book Title: Prakrit Sikhe
Author(s): Premsuman Jain
Publisher: Hirabhaiya Prakashan

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Page 43
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org प्राकृत सीखें: ४२ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वाक्य-प्रयोग सो कलमेन लिखन्तो अत्थि ( वह कलम से लिख रहा है ) ; ते कज्जं कुता सन्ति (वे काम कर रहे हैं); तुमं गच्छन्तो सि (तुम जा रहे हो ) ; तुम्हे पढन्ता संति (तुम लोग पढ़ रहे हो ) ; अहं पुछन्तो हि ( मैं पूछ रहा हूँ) ; हं पीठम्म उवविसंतो अस्थि ( मैं पीढ़े पर बैठ रहा हूँ ) ; अम्हे सोवाणं अहंता संति (हम सीढ़ियों पर चढ़ रहे है ) ; भवन्ता देवं पणमन्ता संति ( आप लोग देवता को प्रणाम कर रहे हैं ) ; बालआ खेलं कुणन्तो संति ( बालक खेल रहे हैं ) । For Private and Personal Use Only

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