Book Title: Prakrit Sikhe
Author(s): Premsuman Jain
Publisher: Hirabhaiya Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 49
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir समोसरणे वड्ढमाणो देसणं काही (समवसरण में वर्द्धमान देशना करेंगे); समणा पाणिणो पाणेन न हणिस्संति (श्रमण प्राणियों के प्राण नहीं मारेंगे; अर्थात् श्रमण हिंसा नहीं करेंगे); जिणस्स वयणाई कणेहि सोच्छं (जिन के वचन कानों से सुनूंगा); दाणं दाहं, पुण्णं काहं ततो य दुक्खं छेच्छं (दान दूंगा, पुण्य करूँगा इस तरह दुःखों का छेदन करूंगा); शीलभूओ मुणी जगे विहरिस्सइ (शीलवान मुनि जग में विहार करेगा); जं बोच्छं तं सोच्छिसे (जो कहूँगा उसे तुम सुनोगे); सज्झायसमो तवो ण अत्थि, ण होही (स्वाध्याय के समान तप नहीं है, न होगा)। हिन्दी में अनुवाद कीजिये रामो गामं गच्छहिइ। बालआ पोत्थयं पटहिन्ति । वरसा उत्तमा होहिइ । तुमं अज्ज बोलिस्ससि । सो गीयं गाइस्सइ। सप्पो डसिस्सइ । धम्मेण णरा सिवं लहिस्सन्ति । अहं धम्मै काहामि । वीरो भडो जुद्धं काहिइ। रायगिहं गच्छं, महावीरं वंदिस्सं। ते अम्हाणं कज्जाओ पसण्णा होहिन्ति । प्राकृत में अनुवाद कीजिये हम क्रोध नहीं करेंगे। वह गुरु से पढ़ेगा। मैं सत्य बोलूंगा। वे पाप से डरेंगे। तुम विद्यालय में पढ़ोगे। हम महावीर का उपदेश सुनेंगे। तुम प्रतिदिन सामायिक करोगे। मयूर नाचेंगे। बालक हँसेंगे। आम का वृक्ष फलेगा। प्रत्ययों के स्थान पर ज्ज, ज्जा का प्रयोग प्राकृत में अनुवाद-कार्य की सुविधा की दृष्टि से धातुओं के प्रत्ययों के स्थान पर 'ज्ज' एवं 'ज्जा' का भी आदेश होता है। वर्तमान, भूत एवं भविष्य कालों में एवं सभी पुरुषों और वचनों में 'ज्ज', 'ज्जा' आदेश बाले रूप समान होते हैं; यथा—हो>धातु=होज्ज, होज्जा (होता है, हुआ, होगा आदि अर्थों में); हस>धातु हसेज्ज, हसेज्जा (हँसता है, हँसा, हँसेगा आदि) । प्राकृत सीखें : ४८ For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74