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अईव
अणन्तर
ईसि
कओ
असई
इह
कहं
जत्थ
जाव
तए
चिअ, चेअ
दुओ
सइ
—अतीव
--पश्चात् -थोड़ा
इ
तारिस
जेत्तिअं
- कहाँ से,
- अनेक बार
-यहाँ
- कैसे
-- जहाँ
--जब तक
-तब
-- और भी
-दो प्रकार
-- एक बार
--कोई
- उसके समान
- जितना
केत्तिअं - कितना
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अव्यय
अण्णा
अहा
एत्थ
कह
दाणि
एयावया
जइ
णवर
तहा
जओ
पुहं
नउणा
सणियं
जारिस
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-अन्यथा
-- जिस प्रकार
—यहाँ
कहाँ
- इस समय
- इतना
कब
—जो
- परन्तु, केवल
—उस तरह
—क्योंकि
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--अलग
--
- फिर से नहीं —धीरे-धीरे
-- जिसके समान
—उतना
-- इतना |
तेत्तिअं
एत्तिअं
विशेषण
प्राकृत वाक्यों में कई प्रकार के विशेषणों का प्रयोग होता है। विशेषण के लिंग, वचन और विभक्ति प्रायः विशेष्य के अनुसार होते हैं ।
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कुछ गुणवाचक विशेषण होते हैं; यथा-1 - किसणी - काला, पीतो = पीला, रत्तो = लाल, उत्तमो = श्रेष्ठ, निउणो = निपुण; आदि ।
कुछ सार्वनामिक विशेषण होते हैं; यथा — यह, वह, वे ये, इन, उन आदि । पु., स्त्री, नपुं. में इनके भिन्न रूप होते हैं (इन्हें हम सर्वनाम के पाठ में पढ़ चुके हैं) ।
प्राकृत सीखें: ६५