Book Title: Prakrit Sikhe
Author(s): Premsuman Jain
Publisher: Hirabhaiya Prakashan

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Page 69
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir राजा से अपनी-अपनी बात कही। राजा ने मंत्रियों से कहा- 'इनके विवाद को समाप्त कर किसी एक को वर प्रमाणित कीजिये' । मंत्रियों ने सभी उपाय सोचे । तब एक मंत्री ने कहा- 'यदि आप मानें तो मैं विवाद का हल करूँ' । उन्होंने अनुमति दी । प्राकृत सीखें: ६८ प्राकृत के इन पाठों को नियमित सीखने वाले पाठक प्राकृत का प्रारम्भिक ज्ञान प्राप्त कर चुके होंगे। उन्हें चाहिये कि वे आगम ग्रन्थों व प्राकृत साहित्य के अन्य ग्रन्थों का पठन-पाठन क्रमश: करते रहें । कोई भी भाषा उस साहित्य के निरन्तर अध्ययन करते रहने से ही भीखी जा सकती है । For Private and Personal Use Only

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