________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
'हस' आदि व्यंजनान्त एवं 'हो' आदि स्वरान्त धातुओं में जब 'अ' का 'ए' हो जाता है तब रूप इस प्रकार बनते हैं--होएज्ज, होएज्जा; पाएज्ज, पाएज्जा; जीवेज्ज, जीवेज्जा आदि ।
वाक्य-प्रयोग सो दुद्धं पिवेज्ज (वह दूध पीता है, पियेगा, उसने दूध पिया); अम्हे जीवेज्ज (हम लोग जीते हैं); रामो बुज्झेज्जा (राम समझता है); तुम्हे नच्चेज्जा (तुम लोग नाचे); अहं कज्जं करेज्जा (मैं काम करूँगा); तुम गामं जाएज्ज (तुम गाँव जाते हो)।
प्राकृत सीखें : ४९
For Private and Personal Use Only