Book Title: Prakrit Sikhe
Author(s): Premsuman Jain
Publisher: Hirabhaiya Prakashan

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Page 52
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra हस + अ + अ = पठ + अ + मो = www.kobatirth.org उपर्युक्त सभी प्रत्यय लगाने से पूर्व धातु के 'अ' को 'ए' विकल्प से होता है; यथा प्र. पु. म.पु. उ. पु. हसउ, हसेउ पढमो, पढेमो Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रथम पुरुष के प्रत्यय 'मु, मो' लगाने से पूर्व विकल्प से धातु के अ आ, इ होते हैं; यथा – भण् + अ + मु = भणमु > भणामु > भणिमु । इस तरह विधि एवं आज्ञा में धातुरूप इस प्रकार होंगे - हस -- हँसना धातु के रूप एकवचन हसउ, हसेउ सहि, हससु, हसे हि हसमु, हसेमु, हसिमु हसामु बहुवचन हसंतु, हसेतु हसह, हसेह हसमो, हसामो, हसिमो, हमो मध्यपुरुष में इज्जसु आदि प्रत्यय लगने पर हसिज्ज, हसिज्जहि, हसिज्जे रूप बनेंगे। सभी पुरुष एवं वचनों में हस्सेज और हस्सेजा रूप होंगे । धातु-कोश बंध ( बाँधना ) ; चर ( आचरण करना ) ; उज्जम (उद्यम करना ) ; पयट्ट ( प्रवृत्ति करना ) ; आणे ( ले आना ) ; रीय ( निकलना ); वर ( स्वीकार करना ) ; चिट्ठ (ठहरना ); जय ( जीना ); विरम ( विराम लेना ) ; सेव (सेवा करना); पहार ( संकल्प करना); चिण (चुनना ) । वाक्य-प्रयोग तुम्हे सुहं चएह पढणे य उज्जमह (तुम सुख त्यागो और पढ़ने का उद्यम करो ) ; तुम्हे एत्थ चिट्ठेह अम्हे वीरं जिणं अच्चेमो ( तुम लोग यहाँ ठहरो, हम लोग वीर जिन की अर्चना करें ); असत्तनराणं संसगं मा करहि (झूठे आदमी का साथ मत करो ) ; गुरुजणाणं प्राकृत सीखें: ५१ For Private and Personal Use Only

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